अर्हम्

अर्हम्

आदरणीय अजीत मुनिजी को सादर वंदना, मुनि जम्बू कुमार जी, मुनि अभिजीत कुमार जी, मुनि जागृत कुमार जी, मुनि सिद्धकुमार जी को सुखपृच्छा। प्रो0 मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी तेरापंथ धर्मसंघ के विशिष्ट और विज्ञ मुनि थे। उनका 6 मार्च, 2023 को मुंबई में देवलोकगमन हो गया। वे धर्मसंघ के बहुउपयोगी और मेरे अनन्य उपकारी संत थे। सौभाग्य से मुझे उनके साथ (91-98 तक) आठ वर्ष रहने का सुअवसर प्राप्त हुआ। मुनिश्री के सान्निध्य में वह मेरी विद्यार्जन यात्रा थी। मुझे आपने बी0ए0 और एम0ए0 करने का मौका दिया। साथ ही प्रेक्षाध्यान में निष्णात बनाया। मैं मानता हूँ आज मैं जो कुछ हूँ वह उनकी देन है।
यूँ तो मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी अनेक गुणों के धारक थे। लेकिन संघ और संघपति के प्रति समर्पण का भाव उनका सर्वोपरि गुण था। वे आचार्यप्रवर द्वारा निर्दिष्ट कार्य को पूर्ण करने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा दते। चाहे उसके लिए रात्रि जागरण भी क्यों न करना पड़े। मुनिश्री भले ही वैज्ञानिक नहीं थे किंतु वे किसी वैज्ञानिक से कम नहीं थे। उनका मस्तिष्क वैज्ञानिक था। वे सदैव सत्य की खोज में लगे रहते। मुनिश्री विद्वान होकर भी विनोदी प्रकृति के थे। उनके विनोदी प्रसंग आज भी हमारे जेहन में गुदगुदी पैदा किए बगैर नहीं रहते। मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी का भाषायी ज्ञान विशिष्ट था। वैसे तो देश-विदेश की अनेक भाषाओं के जानकार थे। परंतु अंग्रेजी भाषा के वे विशेषज्ञ थे। उनके द्वारा प्रयुक्त अंग्रेजी शब्दों पर अंग्रेज विद्वान भी अभिभूत हो जाते।
मुनिश्री ने वैयक्तिक तौर पर ध्यान भले अधिक न किया हो। किंतु आगम कार्य अवधानपूर्वक करते। वे उच्च कोटि के अवधानकार थे। उनका ध्यान के विषय में ज्ञान बहुत गहरा था। मुनिश्री आचार्यों के विश्वास पात्र थे। गुरु की कृपा उसी पर बरसती है जो विश्वास पात्र होता है। आचार्य तुलसी मुनिश्री के बारे में कहा करतेµधर्मसंघ को एक नहीं सौ महेंद्र कुमार जी चाहिए। आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी ने उनकी योग्यता का मूल्यांकन कर प्रेक्षा प्राध्यापक से संबोधित किया। वर्तमान युगप्रधान आचार्य महाश्रमण जी ने उनको बहुश्रुत परिषद का संयोजक बनाया। यह सब बिना गुरु कृपा के संभव नहीं। और यह सच है कि कृपा विश्वास पात्र पर ही बरसती है।
मुनिश्री स्वास्थ्य लाभ हेतु पिछले कुछ वर्षों से मुंबई महानगर में प्रवास कर रहे थे। मुनिश्री का स्वास्थ्य चाहे अनुकूल कम रहा हो, लेकिन स्वाध्याय का क्रम अनवरत चलता रहा। मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी उत्तम तप के श्रेष्ठ साधक थे। शास्त्रों में स्वाध्याय को उत्तम तप बतलाया है। मुनिश्री ने उपवास आदि की बड़ी तपस्या भले न की हो लेकिन स्वाध्याय रूपी उत्तम तप में हमेशा लगे रहते। अध्ययन-अध्यापन उनकी रुचि का विषय था। मुनिश्री महेंद्र कुमार जी स्वामी पुण्याई के पुतले थे। सचमुच में वे पुनवान पुरुष थे। बिना पुनवानी के सुखद संजोग नहीं मिलते। उन्होंने सुसंस्कारी परिवार में जन्म लिया, उन्होंने तेरापंथ जैसा अनुशासित-व्यवस्थित संघ पाया, गुरुओं की कृपा और आशीर्वाद पाया, योग्यता अर्जित की और अपनी क्षमता का शत-प्रतिशत उपयोग किया। शुभाशुभ जीवन का क्रम है लेकिन मुनिश्री को जो अनुकूलता प्राप्त हुई उसमें मूल उपादान उनकी पुण्याई थी।
मुनिश्री का जीवन योगक्षेम का प्रतीक था। नया प्राप्त करना और प्राप्त का संरक्षण करना ही तो योगक्षेम है। मुनिश्री का अधिकांश समय शुभ प्रवृत्ति में व्यतीत होता जो निर्जरा के साथ पुण्यार्जन का हेतु बना। मुनिश्री वफादारी के आदर्श पुरुष थे। वे संघ विकास के लिए सतत जागरूक थे। वे सदैव संघ और संघपति की बढ़ती-चढ़ती ही पसंद करते। मुझे उन्हें धर्मसंघ का हनुमान कहने में कोई आपत्ति नहीं। प्रेक्षा प्राध्यापक, आगम मनीषी, बहुश्रुत परिषद के संयोजक संत महेंद्र कमार जी स्वामी की आत्मा उत्तरोत्तर आध्यात्मिक विकास करती रहे, परम लक्ष्य को शीघ्रातिशीघ्र प्राप्त करे, मंगलकामना।
मुनिश्री के सहवर्ती, मेरे सहपाठी तपस्वी सेवाभावी संत मुनि अजीत कुमार जी स्वामी, गुरुकुलवासी शासन गौरव मुनि मधुकरजी स्वामी के लाड़ले मुनि जम्बू कुमार जी मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी के सान्निध्य में निखरी प्रतिभाएँ मुनि अभिजीत कुमार जी, मुनि जागृत कुमार जी, मुनि सिद्धकुमार जी सभी के चित्त समाधि और आध्यात्मिक विकास की मंगलकामना। मुंबई का श्रावक-श्राविका समाज अपने दायित्व के प्रति बहुत जागरूक है। वह इसी प्रकार धर्मसंघ की सेवा करता हुआ अपना आध्यात्मिक विकास करता रहे, शुभकामना, मंगलकामना।