त्रिदिवसीय कार्यक्रम का आयोजन
डोंबिवली
साध्वी संयमलता जी के सान्निध्य में बोधि दिवस, चातुर्मासिक चतुर्दशी, तेरापंथ स्थापना दिवस का त्रिदिवसीय कार्यक्रम तप, त्याग, व श्रद्धा भक्ति के साथ समायोजित किया गया।
बोधि दिवस : कार्यक्रम की शुरुआत साध्वीश्री जी द्वारा नमस्कार महामंत्र द्वारा की गई। उसके पश्चात तेयुप द्वारा मंगलाचरण किया गया। साध्वी संयमलता जी ने कहा कि इस धरती पर कुछ शख्स ऐसे आते हैं जिसका जन्म दिवस भी महत्त्वपूर्ण होता है। आचार्य भिक्षु जिनका जन्म आषाढ़ शुक्ला त्रियोदशी को हुआ और उसी दिन आपके भीतर नई चेतना का जागरण हुआ, क्रांति का बीज अंकुरित हुआ, जिसने शुद्धाचार विचार का पथ प्रदर्शित किया।
साध्वी मनीषाप्रभा जी ने कहा कि भिक्षु एक चमत्कारी मंत्र है इस मंत्र को आस्था से जपने वाला अपने कष्टों से निजात पा सकता है। साध्वी रौनकप्रभा जी ने स्वरचित गीत का संगान किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी मार्दवश्री जी ने किया।
चातुर्मासिक चतुर्दशी : कार्यक्रम की मंगल शुरुआत महिला मंडल के मंगलाचरण से हुई। साध्वी संयमलता जी ने कहा कि चातुर्मास समय आत्म-जागरण की घड़ी है। साधु-साध्वियाँ इस समय में श्रावक-श्राविकाओं का आध्यात्मिक उपदेश के साथ-साथ तप, संयम का आह्वान करते हैं तथा साध्वीश्री जी ने हाजरी का वाचन करते हुए कहा इस शासन में गुरु आज्ञा की अनुपालना ही सर्वोपरि है।
साध्वी मनीषाप्रभा जी ने कहा कि चातुर्मास चतुर्दशी जागरण का आह्वान है। साध्वी रौनकप्रभा जी ने एक घटना के माध्यम से रात्रि भोजन त्याग की प्रेरणा दी। पूर्व अध्यक्ष सुरेश सिंघवी ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी मार्दवश्री जी ने किया।
तेरापंथ स्थापना दिवस : कार्यक्रम की शुरुआत महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण से हुई। साध्वी संयमलता जी ने कहा कि आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन तेरापंथ की स्थापना हुई या यह कहें कि आज के दिन तेरापंथ को सक्षम गुरु मिला। आचार्य भिक्षु अनुत्तर संयम के उपासक थे। साध्वीवृंद ने तेरापंथ की कहानी एक रोचक कार्यक्रम के माध्यम से प्रस्तुत की।
तेयुप, महिला मंडल, कन्या मंडल द्वारा गीत के माध्यम से अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। सभा मंत्री पारस बड़ाला ने गुरु के जीवन में क्या महत्ता विषय पर विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन साध्वी मार्दवश्री जी ने किया।