साधना से मिलता है आत्मिक सुख: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

साधना से मिलता है आत्मिक सुख: आचार्यश्री महाश्रमण

दादरा, (नगर हवेली) 23 मई, 2023
अनंत आस्था के केंद्र आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगलवार को दुगड़ परिवार के फैक्ट्री परिसर में आयोजित प्रवचन में उपस्थित श्रद्धालुओं को मंगल देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि यह प्रश्न हो सकता है कि इस दुनिया में सुखी जीवन कैसे जीया जा सकता है। आदमी में सुख पाने की लालसा और दुःख मुक्त रहने की भावना रहती है। दुनिया का हर प्राणी सुख चाहता है, कोई दुःखी रहना नहीं चाहता। सुख दो प्रकार का हो जाता है-पदार्थ जन्य सुख और आत्मिक सुख। पदार्थ जन्य सुख में भी अच्छी अनुभूति हो सकती है, सुविधा और क्षणिक सुख मिल सकता है। परंतु निर्जरा से कर्म कटने से जो सुख मिलता है वह आत्मिक सुख होता है। एक तात्कालिक सुख होता है, एक शाश्वत सुख होता है। शाश्वत सुख बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। वह तो एकांत सुख है, फिर दुःख की कोई बात है ही नहीं।
तात्कालिक सुख और सुविधा पदार्थों से प्राप्त हो सकती है। पर आत्मिक सुख साधना से मिल सकता है। शाश्वत सुख के लिए पहली बात है कि अपने आपको तपाओ। तपस्या करो, कठोरता का जीवन जीने का प्रयास करो। आदमी पुरुषार्थ करे। भाग्यवाद जानने की चीज है, पर कर्तव्य पुरुषार्थवाद है। परिश्रमशील का लक्ष्मी वरण करती है। भाग्य की बात छोटी बात है। जीवन में सम्यक् पुरुषार्थ हो। दूसरी बात है, कामनाओं को छोड़ो। भौतिक कामना न रखें। अर्थार्जन में नैतिकता रहे। कामनाओं का अतिक्रमण करो, दुःख समाप्त हो जाएगा। तीसरी बात है कि द्वेष को काटो, ईर्ष्या मत करो, प्रमोद भावना रखो। राग को दूर करो, आसक्ति मत रखो। ये सब होने से आदमी पवित्र आत्मिक व निर्जराजन्य सुख प्राप्त कर सकता है। धर्मशास्त्र पढ़ने से जीवन अच्छा बन सकता है।
हम अणुव्रत यात्रा में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की बातें बता रहे हैं। इनसे आत्मा सुखी रह सकती है। आदमी सद्गुणों से साधु-अच्छा आदमी बन सकता है। हम मानव जीवन सद्गुणों से भरने का प्रयास करें तो यहाँ भी अच्छा और आगे भी अच्छा। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि हमारे भीतर आइस फैक्ट्री और शुगर फैक्ट्री हो, इनसे हमारा जीवन अच्छा बन सकता है। हमारा मस्तिष्क ठंडा हो और मुँह में मिठास हो। इनसे जीवन में शांति रह सकती है। इनसे हम दूसरों को भी शांति दे सकते हैं। हमारे कषाय मंद रहें।
पूज्यप्रवर के स्वागत में स्वामी नारायण समाज से स्वामी कपिल जीवनदास, मनोज दुगड़, राजेश दुगड़, युग सुराणा, सुनीता सुराणा, खुशबू दुगड़, भूपेश कोठारी, गुरुद्वारा कमिटी से सुरविंद्र सिंह, नरेंद्र सुराणा ने अपनी-अपनी भावना अभिव्यक्त की। दुगड़ परिवार ने समूह गीत प्रस्तुत किया। महिला मंडल ने गीत द्वारा अपनी भावना व्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।