जीवन में अच्छे कार्य करें : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

जीवन में अच्छे कार्य करें : आचार्यश्री महाश्रमण

उमरगाँव, 27 मई, 2023
ज्ञान दर्शन एवं चारित्र संपन्न आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः विहार कर उमरगाँव पधारे। उमरगाँव गुजरात-महाराष्ट्र का बॉर्डर है। रविवार को परम पावन का गुजरात से महाराष्ट्र में पदार्पण हो सकेगा। सम्यक् ज्ञान प्रदाता ने मंगल देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि दुनिया में आस्तिकवाद विचारधारा भी है और नास्तिकवाद विचारधारा भी एक महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है-पुनर्जन्मवाद। आस्तिकवाद, विचारधारा पुनर्जन्मवाद को स्वीकार करती है। जबकि नास्तिकवाद विचारधारा ने पुनर्जन्मवाद को अस्वीकार किया है।
प्रश्न उठता है कि पुनर्जन्म क्यों होता है? आध्यात्मिक जगत में आत्मा की बात आती है। आत्मा अनादिकाल से है। अनंत-अनंत आत्माएँ हमेशा थी, हैं और रहेंगी। जितने अणु-परमाणु दुनिया में अनंत काल पहले थे, उतने ही आज हैं और हमेशा रहेंगे। एक भी आत्मा न नई पैदा होती है और न ही विनाश को प्राप्त होती है। पर्याय परिवर्तन रूपांतरण होता रहता है।
पुनर्जन्म स्थायी रूप से आत्मा के साथ जुड़ा हुआ है तो आत्मा या तो मोक्ष में रहेगी या संसारी अवस्था में रहेगी। जब आत्मा साधना के द्वारा सिद्धि को प्राप्त कर लेती है, तो मोक्ष प्राप्त हो जाता है। संसारी आत्मा संसार में भ्रमण करती रहती है। एक स्थूल शरीर को मृत्यु के समय छोड़कर दूसरे स्थूल शरीर को धारण कर लेती है। यह ही पुनर्जन्म है। हमारे शरीर में चार कषाय हैं, ये पुनर्जन्म के मूल को सींचन देते रहते हैं और आत्मा आगे से आगे नए जीवन में जाती रहती है। पुनर्जन्म है, तो पूर्वजन्म तो हो ही गया। पुनर्जन्म की बातें हमें ग्रंथों में पढ़ने को मिलती है। अगर पुनर्जन्म नहीं होता तो झूठी बातें ग्रंथों में क्यों लिखी जाती।
अनेक व्यक्तियों को पूर्वजन्म की बात ज्ञात हो जाती है। इससे भी पुनर्जन्म की पुुष्टि हो जाती है। फिर भी शंका हो तो भी आदमी को गलत कामों को परित्यक्त रखना चाहिए, अच्छे कार्य करने चाहिए। पुनर्जन्म है तो आगे अच्छा होगा। अगर नहीं है, तो कोई बात नहीं। अच्छा जीवन जीने में कोई नुकसान नहीं है। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि साधना के मार्ग में आसक्ति न हो। जो अपनी इंद्रियों पर निग्रह कर लेता है, वह साधना में आगे बढ़ सकता है। क्रोध पर नियंत्रण हो व हमेशा दूसरों का भला सोचें। हम आचार्यप्रवर को देखें कि वे किस प्रकार परहित में निरत रहते हैं। परहित सरिस धर्म नहीं भाई।
मुनि अक्षय प्रकाश जी ने गुजरात यात्रा संपन्नता पर अपनी भावना अभिव्यक्त की। पूज्यप्रवर ने आशीर्वचन फरमाए। पूज्यप्रवर के स्वागत में सुनील बोहरा, एम0के0 मेहता हाईस्कूल से पवन चोरड़िया, अजयकुमार बैद, चंदन बाला, संजय मेहता, नीतू भंडारी, संतोष देवी चोपड़ा, कार्तिक भंसाली, खुशबू कोठारी, ध्रुव परमार, खुशबू परमार ने अपनी-अपनी भावनाएँ अभिव्यक्त की। महिला मंडल से वीणा मेहता ने अपने भाव व्यक्त किए। ज्ञानशाला की सुंदर प्रस्तुति हुई। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।