जनमानस में धार्मिक व नैतिक चेतना का जागरण हो: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

जनमानस में धार्मिक व नैतिक चेतना का जागरण हो: आचार्यश्री महाश्रमण

महाराष्ट्र की धरती पर संत शिरोमणि आचार्यश्री महाश्रमण का पदार्पण

बोरड़ी, (पालघर), 28 मई, 2023
संत शिरोमणि आचार्यश्री महाश्रमण जी ने प्रातः वृहद मुंबई में 2023 का चातुर्मास एवं 2024 का मर्यादा महोत्सव करने हेतु महाराष्ट्र की धरा में पदार्पण किया। पूज्यप्रवर के चरण कमल महाराष्ट्र की धरा को छूते ही वह धन्य-धन्य हो गई, क्योंकि वह इस बार धर्म धरती बनने जा रही है। पूज्यप्रवर धवल सेना के साथ गोलवड़ पधारे। आज ही भारतीय लोकतंत्र के नए संसद भवन का राष्ट्र को लोकार्पण हुआ है। महाराष्ट्रवासियों को धर्म देशना प्रदान करते हुए धर्मज्ञाता ने फरमाया कि हमारी दुनिया में कर्म चलता है, आदमी विभिन्न प्रवृत्तियाँ करता है। मन से सोचता है, कल्पना-चिंतन करता है। वाणी से बोलता है, शरीर से भी हलन-चलन आदि अनेक प्रवृत्तियाँ करता है। ये प्रवृत्ति-आचरण ही कर्म है।
चिंतन का विषय यह है कि इस कर्म के साथ धर्म जुड़ा हुआ है या नहीं। शास्त्र में कहा गया है कि धर्म उत्कृष्ट मंगल होता है। आदमी को मंगल अभिष्ट है। मंगल की कामना भी की जाती है। अहिंसा, संयम और तप धर्म है। आत्म शुद्धि संदर्भ में जो धर्म है, वह इन तीन शब्दों में समाविष्ट हो गया। जो वीर पुरुष होते हैं, वो महान पथ पर समर्पित हो जाते हैं। भगवान महावीर तथा आचार्य भिक्षु का के जीवन में काफी समानता देखने को मिलती है। आचार्य भिक्षु ने अपने जीवन में एक क्रांति की ओर यह पंथ बना। एक क्रांति उन्होंने की और पंथ बन गया। आज हम उसी तेरापंथ में साधना कर रहे हैं। उनकी उत्तरवर्ती आचार्य परंपरा चल रही है। आचार्य तुलसी ने महाराष्ट्र में प्रथम चतुर्मास किया था। आज हमारा यहाँ आना हुआ है। अणुव्रत यात्रा भी चल रही है।
महाराष्ट्र की आम जनता में भी सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति रहे। मुंबई के श्रावक-श्राविका समाज में भी धर्म की अच्छी आराधना होती रहे। आध्यात्मिक, धार्मिक गतिविधियों को और आगे बढ़ाते रहें। अनेक साधु-साध्वियाँ महाराष्ट्र में प्रवासरत हैं। गति मंद भले ही हो, पर सही दिशा में हो। गति बंद न हो। गतिमत्ता बनी रहे। अनेक चारित्रात्माएँ महाराष्ट्र से है। भारत तो एक राष्ट्र है और यह महाराष्ट्र है, यह विशेष बात है। मुनि महेंद्र कुमार जी की भी स्मृति हो रही है। वे आगम-मनीषी थे। हमारे साधु-साध्वियाँ जितने यहाँ हैं, धार्मिक कार्यों का विकास करते रहें। श्रावक-श्राविकाएँ खूब आध्यात्मिक उत्साह के साथ विकास करते रहें। मुंबई की व्यवस्था समिति के पास लंबे काल की व्यवस्थाएँ हैं। सारे कार्य अच्छे हों। महाराष्ट्र में अच्छे रूप में परिवर्तन होता रहे। जनमानस में धर्म की प्रभावना बनी रहे।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने अपने उद्बोधन में महाराष्ट्रवासियों को मंगल प्रेरणा प्रदान की। महाराष्ट्र से संबद्ध मुनि चिन्मयकुमार जी, मुनि अर्हत कुमार जी एवं मुनि जितेंद्र कुमार जी ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए। महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मंत्री हाजी अराफात शेख ने आचार्यश्री के दर्शन किए। तेरापंथ महिला मंडल, घोलवड़, मुंबई एवं पुणे तेरापंथ समाज ने स्वागत गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने भावपूर्ण प्रस्तुति दी। मुंबई चातुर्मास प्रवास समिति अध्यक्ष मदनलाल तातेड़, हितेश हिरण एवं प्रिंसिपल विनीता शाह ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।