मनुष्य में दया व करुणा भाव होना जरूरी: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

मनुष्य में दया व करुणा भाव होना जरूरी: आचार्यश्री महाश्रमण

सिलवासा, (दादरा नगर हवेली), 24 मई, 2023
संत शिरोमणी आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः दादरा से लगभग 12 किलोमीटर का विहार कर दादरा की राजधानी सिलवासा पधारे। महामनीषी ने मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि अनुकंपा एक शब्द है, जो अहिंसा के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। अनुकंपा-दया का भाव रखने वाला अपनी आत्मा को पाप से बचा सकता है। आचार्य भिक्षु ने लौकिक अनुकंपा और आध्यात्मिक अनुकंपा को अलग-अलग समझाया है। पाप कर्मों से आत्मा को बचाना दया हो जाती है। आदमी दूसरों को पीड़ा न पहुँचाए। हो सके तो आध्यात्मिक चित्त-समाधि पहुँचाए। साधु तो अहिंसा मूर्ति, दया मूर्ति होना चाहिए। यह मेतार्य मुनि के प्रसंग से समझाया कि साधु तो समता में रहे।
हमारा आदर्श हमारे सामने रहे तो हम साधना में आगे बढ़ सकते हैं। मेतार्य मुनि धर्मरुचि अणगार आदि ये साधु संस्था के सितारे हैं, इनसे हमें प्रेरणा प्राप्त हो सकती है। गृहस्थों के जीवन में अहिंसा-दया की भावना देखने को मिल सकती है। प्राणी मात्र के प्रति करुणा का भाव हो। आदमी में दया-अहिंसा की भावना हो तो यहाँ भी ठीक है और आगे भी अच्छा होने की संभावना हो सकती है। गृहस्थ अनावश्यक हिंसा न करें। व्यापार में भी नैतिकता रहे। धोखाधड़ी न हो। कर्मवाद का सिद्धांत है कि तुम जैसा करोगे, वैसा भरोगे। पुण्योदय के समय भी संयम रखें। आदमी के जीवन में दया-अहिंसा का भाव रहे, यह काम्य है।
सिलवासा में सब लोगों में खूब धर्म की भावना रहे। अध्यात्म पथ पर चलने का प्रयास होता रहे, मंगलकामना। साध्वीप्रमुखाश्री जी ने कहा कि प्राणी तीन प्रकार के होते हैंµदेव, पिशाच और मनुष्य। देव कभी किसी को कष्ट नहीं पहुँचाते जबकि पिशाच स्वयं कष्ट उठाकर भी दूसरों को कष्ट देते हैं। मनुष्य अपना भी हित करता है और दूसरों का भी हित करता है। हम देख रहे हैं कि आचार्यप्रवर किस तरह लोगों के हित-कल्याण की कामना करते हैं, उत्थान की कामना करते हैं। परोपकार उनका ध्येय बन जाता है।
पूज्यप्रवर के स्वागत में स्थानीय सभाध्यक्ष नितेश भंडारी, जिगर शाह सकल जैन समाज से राजेश दुगड़, के0एल0 जैन, एसडीपीओ सिलवासा, सिद्धार्थ जैन (पुलिस अधिकारी) ने अपनी-अपनी भावनाएँ अभिव्यक्त की। तेरापंथ महिला मंडल ने स्वागत गीत का संगान किया। ज्ञानशाला की सुंदर प्रस्तुति हुई। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।