प्रज्ञा ज्योतिर्धर को नमन हमारा
राजसमंद
आचार्य महाश्रमण की सुशिष्या डॉ साध्वी परमयशा के सान्निध्य में आचार्य महाप्रज्ञ के 104वें जन्म दिवस, प्रज्ञा दिवस के त्रिदिवसीय कार्यक्रम का समायोजन हुआ। प्रथम चरण का कार्यक्रम नरेन्द्र जैन (पड़िहारा) के निवास स्थान पर आयोजित हुआ। डॉ साध्वी परमयशा ने अपने उद्बोधन में कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ एक युगप्रधान आचार्य थे। उस महामनीषी में देश और दुनिया ने विवेकानन्द का दिव्य स्वरूप, राधाकृष्णन का दार्शनिक संबोध, सिद्धसेन समन्तभद्र जैसा न्याय दर्शन, देवर्द्धिगणि जैसा आगम संपादन कौशल, हेमचन्द्राचार्य जैसा सरस्वती का विराट विशाल महाग्रंथ दिखाई देता है। तेरापंथ तपोवन के नौ आचार्यों की संपदा जिन्हें विरासत में मिली। आचार्य तुलसी ने निकाय सचिव, ‘महाप्रज्ञ’ अलंकरण, युवाचार्य और आचार्य बनाकर जिनशासन में सुयश का विजय ध्वज फहरा दिया। जिनके कर्तृत्व और नेतृत्व को, व्यक्तित्व और वक्तृत्व को आकड़ांे से, पैमानों से बताया नहीं जा सकता।
साध्वीवृंद ने ‘ज्योतिर्धर की जीवन गाथा गौरव से हम गायेगें’ गीत का संगान किया। साध्वी विनम्रयशा ने कविता के माध्यम से अपने आराध्य के प्रति विनयांजलि व्यक्त की। कार्यक्रम में नरेन्द्र बैद, हिम्मत कोठारी, विनोद बड़ाला, विनोद चौरड़िया, सरिता बैद, मीनल, सीमा, मंजू कावड़िया, भाई-बहन की जोड़ी प्रखर-माही कावड़िया, द्वय बहनों की जोड़ी चर्या-गुरवी धाकड़ ने गीत, कविता, वक्तव्य के माध्यम से अपने भावांे को अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन साध्वी मुक्ताप्रभा ने किया।
दूसरे चरण का कार्यक्रम हिम्मत कोठारी के निवास पर रात्रि में धम्म जागरणा के रूप में आयोजित हुआ, जिसके अंतर्गत अनेक भाई-बहनों ने गीतों का संगान किया। तीसरे चरण का कार्यक्रम पदमचंद पटावरी के निवास पर ‘प्रज्ञा विनयांजलि’ के रूप में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में साध्वी मुक्ताप्रभा ने कविता और साध्वी कुमुदप्रभा ने गीत के माध्यम से प्रज्ञा विनयांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम में मंजू बड़ाला, डॉ लीना कावड़िया, डॉ सीमा कावड़िया, नीलम पटावरी, पदमचंद पटावरी, अशोक डूंगरवाल, हर्षलाल नौलखा, बोधि स्थल के अध्यक्ष ख्यालीलाल चपलोत, कांकरोली महिला मंडल, भूपेन्द्र धोका आदि ने गीत, कविता और वक्तव्य के माध्यम से अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का मंगलाचरण जीनल डूंगरवाल ने किया। साध्वी विनम्रयशा ने संचालन किया।