आचार्यश्री तुलसी विरल विभुति थे
नोखा
युगप्रधान आचार्यश्री तुलसी श्रमशील, कर्मशील, विकासपुरूष थे। उन्होंने समाज को नई दिशा दी, मानवता को अणुव्रत का अवदान दिया। वे देश की विरल, अमूल्य विभूति थे। आध्यात्मिकता, वैज्ञानिकता के पूरक तुलनात्मक धर्म की परिभाषा सरलता से समझाते। कीर्तिमान, लाकापुरूष थे। शताब्दियों में ऐसे महापुरूष पैदा होते हैं। यह उद्गार ‘शासन गौरव’ साध्वी राजीमती ने आचार्य तुलसी के 27वें महाप्रयाण दिवस पर नोखा तेरापंथ भवन में व्यक्त किये। तेरापंथ महिला मंडल ने तुलसी जीवन झांकी कव्वाली के रूप में प्रस्तुत की। तेयुप युवकों द्वारा ‘तुलसी का स्मरण’ गीतिका द्वारा श्रद्धा समर्मित की गई। एकासन तपस्या 101 की गई।
कार्यक्रम में डॉ. प्रेमसुख मरोठी, भोजराज बैद, तेरापंथी सभा अध्यक्ष निर्मल कुमार भूरा, उपाध्यक्ष इन्द्रचंद बैद ‘कवि’, सुनील बैद, उपासक अनुराग बैद, कोलकाता से समागत प्रेक्षाध्यान साधक रणजीत दूगड़, उपासक मनीष मालू, तेयुप मंत्री अरिहंत संकलेचा, गोपाल लूणावत, महिला मंडल मंत्री प्रीति मरोठी ने गणाधिपति तुलसी के प्रति श्रद्धा भावना व्यक्त की एवं उनके व्यक्तिृत्व कृर्तत्व पर प्रकाश डाला। साध्वी विधिप्रभा, साध्वी प्रभातप्रभा ने आचार्य तुलसी की महानतम देन अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान, जैन विश्व भारती की चर्चा-परिचर्चा प्रस्तुत की। साध्वियों द्वारा सामूहिक गीत का संगान प्रभावक रहा। कार्यक्रम का कुशल संचालन तेरापंथी सभा के मंत्री लाभचंद छाजेड़ ने किया।