अध्यात्म साधना का परम लक्ष्य मोक्ष : महामनीषी आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

अध्यात्म साधना का परम लक्ष्य मोक्ष : महामनीषी आचार्यश्री महाश्रमण

वसई, मुम्बई 10 जून 2023।
अहिंसा के अग्रदूत आचार्य महाश्रमण अपनी धवल सेना के साथ आज प्रातः वसई पधारे। महामनीषी ने मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि मोक्ष एक शब्द है और अध्यात्म साधना का परम लक्ष्य मोक्ष होता है। ले उसे निर्वाण मुक्ति या सिद्धालय कह दें। मूल बात है सर्व दुःख मुक्ति शाश्वत रूप से प्राप्त हो जाती है, वह मोक्ष अवस्था होती है।
साधु जीवन स्वीकार करने का मूल लक्ष्य है, मोक्ष प्राप्ति की कामना। मोक्ष किन कारणों से प्राप्त नहीं होता है, उसके लिए कई बातें बतायी गयी है। पहली बात बतायी जो आदमी प्रवृति से गुस्सैल होता है। मुक्ति पाने के लिए जरूरी है, गुस्सा छोड़ना। गुस्सा नहीं टूटेगा तो संसार नहीं छूटेगा। गुस्सा तो समाज, परिवार या व्यवहार में ी काम का नहीं है। दिमाग शांत रहना चाहिये।
शीतलनाथ गवान का जप कर उनसे प्रेरणा लंे कि हम शीतल रहें। संत वह होता है, जो शांत होता है। गृहस्थ ी शांत रहे तो अच्छा है। बड़े का बड़पन्न है कि मौके पर हौठ बंद रखे। बड़ा वह है जो बात-बात में कड़ा न हो। उपशम से क्रोध को जीतो। उपशम की अनुप्रेक्षा करो।
दूसरी बात है- गर्व करना। बुद्धि और ऋद्धि का अंहकार नहीं, उसका अच्छा उपयोग करें। न अंहकार न आसक्ति। ज्ञान है फिर ी मौन रखना, शक्ति है फिर ी शांति रखना। बिना सोचे तत्काल निर्णय न करें। आवेशशीलता अच्छे निर्णय की शत्रु बन सकती है। अनुशासनहीनता नहीं करनी चाहिये। अदृष्टधर्मा न हो। संविाग नहीं करना। दूसरे का हक न मारें।
आदमी को जीवन में कुछ करना चाहिये। ये मानव जीवन हमें प्राप्त है, जिसे दुर्ल कहा गया है। इसे पाकर धर्म के मार्ग पर चलें। आत्मा का कल्याण हो, वैसा करें। संवर और निर्जरा की साधना करें। जीवन में धार्मिकता, आध्यात्मिकता आये तो जीवन सफल सुफल बन सकता है। अच्छी साधना करने वाला मोक्ष की निकटता को प्राप्त हो सकता है।
वसई में पहले हम नाथ के साथ आये थे। अब हम आये हैं। साध्वी प्रज्ञाश्री से आज यहां मिलना हुआ है। चारों सतियां अचछा काम करती रहें।
साध्वी प्रमुखाश्री ने कहा कि सज्जन का हृदय दूसरों के संताप को देखकर द्रवित हो जाता है। परम पूज्य आचार्य प्रवर भी करूणाशील हैं। अनुकंपा की चेतना से आपका हृदय ओतप्रोत होता है। चिŸा में समाधि वहीं दे सकते हैं जिनके ीतर करूणा है।
साध्वी प्रज्ञाश्री ने पूज्यवर की अिवंदना में अपनी ावना अिव्यक्त की। साध्वीश्री का पिछला चतुर्मास वसई में ही था। साथ की साध्वियों ने गीत से अभ्यर्थना की।
पूज्यवर के स्वागत में स्थानीय साध्यक्ष प्रकाश संचेती, पूरे तेरापंथ समाज द्वारा समूह गीत, तेयुप अध्यक्ष कमलेश लोढ़ा, वसई जैन महासंघ से बसंत ाई बोहरा, मेवाड़ स्थानकवासी समाज से सुरेश पोखरणा ने अपनी ावना अिव्यक्त की।
डिजीटल के दुष्प्राव पर ज्ञानशाला की सुन्दर प्रस्तुति हुई।
कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमार ने किया।