स्वस्थ जीवन का आधार-योग

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स्वस्थ जीवन का आधार-योग

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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर अणुव्रत बाल भारती स्कूल के विद्यार्थियों व समाज के गणमान्य व्यक्तियों के बीच शासनश्री मुनि विजय कुमारजी ने स्वस्थ जीवन का आधार योग विषय पर चर्चा करते हुए कहा- मनुष्य जीवन को देव दुर्लभ माना गया है। जीवन पाना और उसे सही ढ़ंग से जीना दो अलग-अलग बातें हैं। मनुष्य जीवन को सही ढ़ंग से वही जी सकता है जो प्रारंभ से ही उसके प्रति सजग हो। जो गफलत में जीते हैं वे कोहिनूर हीरे को कोड़ियों में बेच देते हैं। अंतिम समय में पश्चाताप के आंसू बहाना ही उनके लिये शेष रह जाता है। आज 21 जून का दिन पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। अनेक देशों में योग पर चर्चा और प्रयोग कराए जा रहे हैं। स्वस्थ शरीर के लिए योग एक तरह से असली टॉनिक का काम करता है। योग के अभ्यासी व्यक्ति का इम्युनिटी पावर बढ़ जाता है, कोई रोग उसी के शरीर में घुसपैठ नहीं कर पाता है। कोई घुस भी जाए तो वह अपनी जड़ें नहीं जमा पाता है। स्वस्थ मन, स्वस्थ बु(ि और स्वस्थ भाव भी जीवन की स्वस्थता के लिए जरूरी है। लंबा जीना महत्त्वपूर्ण नहीं है, जितना जीयें स्वस्थ और आनंद का जीवन जीएं तभी मनुष्य जीवन की सार्थकता है।
मुनिश्री ने अपने उद्बोधन से पूर्व योग के संदर्भ में गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में स्कूल की छात्राओं ने अणुव्रत गीत व तेरापंथ अणुव्रत समिति महिला टीम की बहनों ने मंगल गीत प्रस्तुत किया, अणुव्रत बाल भारती स्कूल के व्यवस्थापक श्योपालराम गोदारा, रेखाराम गोदारा, प्रिया सुथार, चैनरूप दायमा, सूरजमल नाहटा, कन्हैयालाल स्वामी ने अपने विचार रखे। अणुव्रत समिति संरक्षक प्रदीप सुराणा ने अध्यक्षता की व अणुव्रत समिति के अध्यक्ष विनोद नाहटा ने आभार ज्ञापित किया।