भगवान महावीर के दिखाए मार्ग पर चलें: आचार्यश्री महाश्रमण
नंदनवन (मंुबई), 4 जुलाई, 2023
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि भगवान महावीर इस भरत क्षेत्र के वर्तमान अवसर्पिणी के चौबीसवें तीर्थंकर हुए। वीतराग पुरुष थे। केवलज्ञान, केवलदर्शन, क्षायिक सुख और निरंतरायता को प्राप्त हुए। अनेक गीतों और अष्टकों में भगवान महावीर की स्तुति की गई है। भगवान की स्तुति में ‘मैं महावीर तुम्हारे चरणों में’---यह गीत यदा-कदा गाया करता हूँ। इस गीत में श्रद्धा के भाव हैं। श्रद्धा के फूल प्रभु के चरणों में चढ़ाएँ। जिनके प्रति हमारी श्रद्धा है, उन्होंने जो उपदेश दिया है, उन बातों को जीवन में उतारो। आचरण अच्छा बनाओ तो गति अच्छी हो सकती है।
मुक्ति के लिए सम्यक् दर्शन, सम्यक् चारित्र भी अपेक्षित है। इन सबसे जीवन में ज्ञान-आचरण की ज्योति प्रज्ज्वलित होगी। तपस्या और संयम मोक्ष प्राप्ति के शुभ साधन हैं। इसके साथ आराध्य चरण की आराधना हो, जिससे हम विकृतियों से मुक्त हो आत्म-विजय कर पाएँगे। तप-संयम साधना का जो नियम लिया है, उसको दृढ़ता से निभाने का भी प्रयास रखो। नियम के प्रति निष्ठा रखें। साधुपन या श्रावकत्व को निभाने में हमारे प्राण भले चले जाएँ, पर नियमों के प्रति मनोबल मजबूत रहे। मन में कायरता न लाएँ। यश लोलुपता से साधना में बाधा न आ जाए। पद लोलुपता न हो, विकार व्यथा सताएँ नहीं, निष्कामता से सेवा का कार्य करें। स्व-पर कल्याण के लिए हम अपना जीवन अर्पित कर दें।
गुरु, देव और धर्म की शरण में लीन रहें। निर्भीक रहते हुए धर्म के मार्ग पर चलें। सच्चाई, अहिंसा, नैतिकता और नशामुक्ति की सद्-प्रेरणा लोगों को दें। सब प्राणियों के साथ मैत्री हो, किसी के प्रति बैर भाव न हो। मेरे में ईर्ष्या के मत्सर, अभिमान का भाव न जागे। जैसा कहता हूँ वैसा करता रहूँ, उसमें विषमता न हो। हे प्रभो! इस तरह हम अच्छे आचरण कर तुम्हारे पथ को, आचार्य भिक्षु के पथ को प्राप्त करें। भगवान के जीवन से हम प्रेरणा प्राप्त कर कल्याण के मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं। चतुर्मास का पूर्वार्ध अध्यात्म की खुराक देने वाला हो। 21 रंगी तपस्या करने वालों को तपस्या के प्रत्याख्यान करवाए। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि दिनेश कुमार जी ने मनुष्य जीवन की महत्ता के बारे में समझाया।