मंत्र दीक्षा के विविध आयोजन
पीतमपुरा, दिल्ली
खिलौनी देवी धर्मशाला, पीतमपुरा में आयोजन को संबोधित करते हुए शासनश्री सासध्वी रतनश्री जी ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी एक दूर द्रष्टा आचार्य थे। उन्होंने परिवार, समाज, देश और राष्ट्र निर्माण के लिए अनेक अवदान दिए, उनमें एक अवदान है-मंत्र दीक्षा। वृक्ष के लिए बीज का महत्त्व है। विशाल भवन निर्माण के लिए एक-एक ईंट का महत्त्व है। उसी प्रकार परिवार, समाज निर्माण के लिए एक-एक बालक का महत्त्व है। प्रारंभ से ही उसके जीवन में सुसंस्कारों का बीजारोपण करना चाहिए, जिससे वे भविष्य में देश और राष्ट्र का नाम रोशन कर सके। मंत्र दीक्षा में नमस्कार महामंत्र के समुच्चारण के साथ कुछ संकल्प दिए जाते हैं। जैसे-नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करूँगा, मैं माता-पिता, गुरुजनों के प्रति विनम्र रहूँगा, मैं गाली व अपशब्द का प्रयोग नहीं करूँगा, मैं प्रतिदिन नमस्कार महामंत्र का कम से कम 21 बार जप करूँगा।
साध्वीश्री जी के समक्ष बच्चों ने खड़े होकर इन संकल्पों को दोहराया। शासनश्री साध्वी सुव्रताजी ने कहा कि बच्चे घर की शान और मृदु मुस्कार होते हैं। बच्चों के सरल हृदय में भगवान का निवास होता है। तेयुप ने यह एक सुंदर अभियान हाथ में लिया है मंत्र दीक्षा का। जिससे बच्चों का जीवन सुसंस्कारी बनेगा। कार्यक्रम का शुभारंभ तेयुप के सदस्यों ने विजय गीत से किया। तेरापंथ महासभा के उपाध्यक्ष संजय खटेड़ ने बच्चों को उद्बोधन दिया। दिल्ली ज्ञानशाला के संयोजक रतनलाल जैन ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की समाप्ति पर विशाल जैन ने आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन तेयुप के पूर्व मंत्री दिल्ली से सौरभ आंचलिया ने किया। प्रवीण बैंगानी, पीतमपुरा, तेरापंथ सभा के अध्यक्ष ने समागत सभी सज्जनों का स्वागत एवं कृतज्ञता ज्ञापित की।