मंत्र दीक्षा के विविध आयोजन
राजनगर, भिक्षु बोधि स्थल
डॉ0 साध्वी परमयशा जी के सान्निध्य में मंत्र दीक्षा के कार्यक्रम का आयोजन हुआ। डॉ0 साध्वी परमयशा जी ने कहा कि बच्चों का मानस कोमल होता है। बच्चों को जैसा माहौल मिलता है, वैसा ही उनका मन-मस्तिष्क हो जाता है। बच्चों को केवल कार ही नहीं, अच्छे संस्कार दें। घर में ए0सी0 न हो चलेगा, मगर परिवार के हर सदस्य के ब्रेन में ए0सी0 जरूर होना चाहिए, क्योंकि बच्चा बिम्ब को नहीं प्रतिबिंब को पकड़ता है।
आपने आगे कहा कि नमस्कार महामंत्र जैन परंपरा का एक प्रभावक मंत्र है। इस मंत्र के साथ अनंत साधकों की साधना है। जप करने वाले के पाप का बंध नहीं होता, अंतर शक्ति का जागरण होता है। आभामंडल पवित्र बनता है। दिव्य शक्तियाँ अनुकूल बनती हैं। देवकृत उपद्रव प्रभावहीन हो जाते हैं। आपने सब ज्ञानशाला के विद्यार्थियों को संकल्प करवाए कि कम से कम 27 बार नमस्कार महामंत्र का जप करना चाहिए, नशामुक्त जीवन जीना चाहिए, माता-पिता व गुरुजनों के प्रति विनम्रता का भाव रखना चाहिए और गाली और अपशब्द का प्रयोग नहीं करना चाहिए। कार्यक्रम की शुरुआत साध्वीश्री जी के नमस्कार महामंत्र से हुई और तत्पश्चात साध्वीश्री जी ने गीत का संगान किया।
साध्वी विनम्रयशा जी ने कहा कि जो बच्चा हर काम टाइम पर करता है वो बच्चा अच्छा होता है। बच्चों को अच्छे संस्कार दें, जिससे वे अच्छा नागरिक बने। मोबाइल और टी0वी0 से बच्चों को दूर करें, जिससे वे हर क्षेत्र में सफल बने। कार्यक्रम में ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने मंगलाचरण किया तथा ज्ञानशाला के बच्चों ने प्रस्तुति दी।कार्यक्रम में हर्षलाल नवलखा (तेरापंथ सभा के कार्यवाही सदस्य), तेयुप के अध्यक्ष भूपेश धोका, ज्ञानशाला का पूर्व विद्यार्थी हंस चपलोत ने मंत्र दीक्षा पर अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम में साध्वीश्री जी ने सब ज्ञानशाला के बच्चों को मंत्र दीक्षा प्रदान करवाई और नियमों के त्याग भी करवाए।