बारह व्रत कार्यशालाओं के विविध आयोजन
विजयनगर, बैंगलोर
मुनि दीपकुमारजी के सान्निध्य में अर्हम भवन में अनीशा बाबेल धर्मपत्नी राकेश बाबेल के 30 दिन के मासखमण तप का अनुमोदन समारोह श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, विजयनगर के तत्वावधान में आयोजित किया गया। इस अवसर पर उद्बोधन प्रदान करते हुए मुनि दीप- कुमारजी ने कहा कि प्रबल मनोबली ही मासखमण जैसी तपस्या कर सकते हैं। अनीशा बाई ने मासखमण तप कर मनोबल का परिचय दिया है। तप मंगल है, क्योंकि तप शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा चारों को मंगलमय बनाता है। तप जैन शासन की प्रभावना का हेतु है। आज के युग में इतनी बड़ी तपस्या चमत्कार से कम नहीं है। अनीशा बाई ने अपने पुत्र मुनि काव्यकुमार को संघ को समर्पित किया है। यह संघ को बहुत बड़ी भेंट की है। अब पुत्र मुनि के चातुर्मास में हमें यह मासखमण तप की अच्छी भेंट की है। गुरुदेव महाश्रमणजी की कृपा से यह तपस्या हुई है। उनके शासनकाल में धर्मसंघ में चारों और तप की ज्योति प्रज्वलित हो रही है। मुनिश्री ने तपस्विनी बहिन के लिए स्वरचित गीत का संगान किया। संसारपक्षीय मां के मासखमण पर भाव व्यक्त करते हुए मुनि काव्यकुमारजी ने कहा कि तपस्या से हमारी आत्मा की शुद्धि होती है। मेरी संसारपक्षीय मां ने यह मासखमण तप कर संकल्पबल की मजबूती का उदाहरण प्रस्तुत किया है। मेरी दीक्षा में भी मेरी संसारपक्षीय मां अनीषा बाबेल प्रेरिका रही है।
कार्यक्रम में तेरापंथ सभा विजयनगर अध्यक्ष प्रकाश गांधी ने तपस्वी बहन के तप की अनुमोदना करते हुए अपने विचार व्यक्त किए। सभा मंत्री मंगल कोचर ने साध्वी प्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी के संदेश का वाचन किया। सभा के सदस्यों ने तप अभिनंदन गीत का संगान किया। बाबेल परिवार की तरफ से चिरायु बाबेल, अक्षरा बाबेल, नेहा चोरड़िया ने वक्तव्य दिया एवं बाबेल परिवार ने गीत का संगान किया। तपसण की बहन मनीषा जैन ने भावपूर्ण विचार रखे। तेयुप अध्यक्ष राकेश पोखरना, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा मंजू गादिया, अर्हम मित्र मंडल मंत्री विनोद पारख, ज्ञानशाला संयोजिका मनीषा घोषल ने भी अपने विचार रखे। तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ कन्या मंडल एवं ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने अलग-अलग गीत का संगान किया। तेरापंथ सभा एवं सभी सहयोगी संस्थाओं के पदाधिकारीगण ने तपस्वी बहन का साहित्य एवं मोमेंटो द्वारा तप अभिनंदन किया। संचालन निधि चावत ने किया। कार्यक्रम में विजयनगर एवं आसपास के क्षेत्र से श्रावक-श्राविका समाज की अच्छी उपस्थिति रही।