बारह व्रत कार्यशालाओं के विविध आयोजन
दिल्ली
साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में तेरापंथ युवक परिषद,् दिल्ली के तत्वावधान में ओसवाल भवन, शाहदरा में बारह व्रत कार्यशाला का आयोजन किया गया। साध्वी अणिमाश्रीजी ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा- ‘भगवान महावीर ने दो प्रकार के धर्म की प्ररुपना की है- आगार धर्म व अणगार धर्म। साधु धर्म व श्रावक धर्म। श्रावक के लिए भगवान ने बारह व्रत का विधान किया है। व्रत संयम की चेतना को पुष्ट करने का सशक्त सोपान है। व्रत अंतरचेतना को उद्घाटित करने का द्वार है। व्रत अव्रतरूपी नाले को रोकने का ढक्कन है। व्रत आत्मानंदी व सहजानंदी बनाने वाली अमोध संपदा है। भगवान ने कहा है हर श्रावक बारह व्रत रूपी अनमोल संपदा का स्वामी बने। जब तक व्यक्ति व्रतों को स्वीकरण नहीं करता तब तक अव्रत का पाप लगता रहता है। हर श्रावक बारह व्रतों को समझे एवं धारण करें।’
साध्वी डॉ. सुधाप्रभाजी ने कहा- ‘चातुर्मास का यह समय आत्मा को व्रत संयम से पुष्ट करने का समय है। व्रतों की चाबी से आत्मा पर लगे ताले को खोलकर आत्म संपदा से संपन्न बनने का समय है।’ साध्वी समत्वयशाजी ने मंच संचालन करते हुए कहा कि बारह व्रत को स्वीकार कर निज आत्माधन को संभालने का प्रयत्न करें। तेयुप अध्यक्ष विकास चौरड़िया ने अपने विचार व्यक्त किए। तेयुप साथियों ने मंगल गान प्रस्तुत किया। बारह व्रत कार्यशाला को सफल बनाने के लिए संयोजक राकेश लोढ़ा का विशेष श्रम रहा।