धार्मिकता का आचरण कर जीवन को बनाएं सफल : आचार्यश्री महाश्रमण
17 अगस्त 2023 नन्दनवन-मुम्बई
महामनीषी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भगवती सूत्र की व्याख्या कराते हुए फरमाया कि श्रमणोपासिका जयंती भगवान महावीर के सान्निध्य में उपस्थित है और अनेक प्रश्न जयंती ने प्रस्तुत किये हैं। कुल 19 प्रश्नों की तालिका हो जाती है। जयंती ने एक प्रश्न किया कि भन्ते! सोना अच्छा रहता है या जागना अच्छा रहता है। उत्तर दिया गया- कुछ जीवों का सुप्त रहना अच्छा है, कुछ जीवों के लिए जागना अच्छा है।
जयंती ने पूछा- भगवन्! यह बात किस आधार पर फरमाई जा रही है। बताया गया कि प्राणियों के दो भाग हो जाते हैं- अधार्मिक प्राणी और धार्मिक प्राणी। अधार्मिक जीवों का सोना अच्छा है, वे जीव सोये रहेंगे तो कितने प्राण भूत जीवों, सत्व जीवों को दुःखी नहीं कर पायेंगे। अधार्मिक लोग सोये रहेंगे तो उतना अधर्म का पाप कर्म तो नहीं लगेगा। वे बुरे काम से बचे रहेंगे। जो जीव धार्मिक हैं, धर्म से हर कार्य करते हैं, ऐसे जीवों का जागृत रहना अच्छा है। उनके द्वारा कोई भी जीव दुःखी नहीं होगा। वे जागृृत रहेंगे तो स्वयं धर्म की साधना करते हुए दूसरो को भी धर्म के पथ पर चलाते रहेंगे।
एक होता है- बाहर से सोना या जागना। एक होता है- भीतर से जागृत या मूर्च्छा में रहना। आलस्य तो मनुष्यों के शरीर में रहने वाला महान शत्रु है। आलस्य विकास में बाधा पहुंचाने वाला होता है। पापाचार करने वालों के लिए आलस्य अच्छा है। इस प्रश्न से हम जान सकते हैं कि आदमी के जीवन में धर्म कितना है और पाप कितना है।
तीन प्रकार के मनुष्य हो सकते हैं- (1) बहुत धार्मिक- जो स्व-पर का कल्याण करने वाले होते हैं। यह उत्तम श्रेणी के मनुष्य होते हैं। (2) अधार्मिक मनुष्य- जो पापाचार करने वाले होते हैं। धर्म में आस्था नहीं होती है। (3) मध्यम श्रेणी के मनुष्य- जो न ज्यादा पाप करते हैं, न ज्यादा धर्म, न दूसरों को ज्यादा तकलीफ देते हैं।
गृहस्थ सुबह जल्दी जागकर धर्माराधना करें। जल्दी सोयें, जल्दी उठें। रात्रि का अन्तिम प्रहर तो अमृत वेला- ब्रह्म मुहूर्त्त होता है। समय का मूल्यांकन करें। अपने जीवन में धार्मिकता का आचरण करें, ताकि हमारा जागना सफल हो सके।
पूज्यवर ने कालूयशोविलास व्याख्यान में पूज्य कालूगणी के अस्वस्थता के प्रसंग के बारे में फरमाया। पूज्यवर ने तपस्या के प्रत्याख्यान करवाये। विमल सोनी ने गंगापुर रंगभवन हिरण परिवार में अपने ननिहाल के कुछ प्रसंग बताते हुए अपने भाव व्यक्त किये एवं पूज्यवर के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।