विशाल प्रतिक्रमण कार्यशाला
नोखा
बहुश्रुत एवं शासन गौरव साध्वी राजीमतिजी के पावन सान्निध्य में तेरापंथ भवन में प्रतिक्रमण कार्यशाला आयोजित हुई। शासन गौरव साध्वी राजीमतिजी ने प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा- ‘प्रतिक्रमण करना निर्जरा है। आत्म चिंतन कर आत्मा की मलिनता के कचरे एवं गलत विचारों को प्रतिक्रमण की बुहारी से साफ करंे। सम्पूर्ण जीवन की सफलता का सूत्र प्रतिक्रमण है। आराधक बनें, विराधक न बनें। क्रोध, मान, माया, लोभ को कम करने का प्रयास करें। अनासक्त बनने का प्रयास करें। त्याग व संयम में धर्म है, भोग में पाप है, इस सिद्धांत को समझें व आत्मसात करें। भाव शुद्ध रखें, आत्मा को हल्की रखंे। अहंकार ममकार पतन का कारण है। आत्म चिंतन कर प्रायश्चित करना ही प्रतिक्रमण है।’
इस अवसर पर उपासक श्रेणी के राष्ट्रीय संयोजक सूर्यप्रकाश सामसुखा ने कहा कि पीछे मुड़़कर देखना, गलती का परिष्कार करना, हिंसा की आलोचना करना, बारह से भीतर आना, अतिक्रमण पर नियंत्रण का निवारण ही प्रतिक्रमण है। मानव गलती करता है, झूठ बोलता है, छल, कपट करता है, उसका प्रायश्चित्त करना, स्वीकार करना ही प्रतिक्रमण है। शांति का जीवन ही व्यक्ति को सुखी बनाता है। व्यक्ति को पाक्षिक, मासिक, वार्षिक प्रतिक्रमण कर क्षमायाचना करनी चाहिये।
तेरापंथ महिला मंडल की बहिनों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। तेरापंथी सभा उपाध्यक्ष इन्द्रचन्द्र बैद ‘कवि’, तेममं अध्यक्षा सुमन मरोठी ने अपने भाव व्यक्त किये। कुशल संचालन करते हुए तेरापंथी सभा मंत्री लाभचंद छाजेड़ व उपासक अनुराग बैद ने प्रतिक्रमण कार्यशाला को महत्वपूर्ण एवं उपयोगी बताया।
तेरापंथी सभा, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल द्वारा सूर्यप्रकाश सामसुखा का साहित्य से सम्मान किया गया। कार्यशाला में तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष गजेन्द्र पारख, मंत्री अरिहंत संकलेचा सहित अच्छी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।