भारत देश भौतिक विकास के साथ आध्यात्मिक विकास भी करता रहे: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

15 अगस्त 2023 नन्दनवन-मुम्बई

भारत देश भौतिक विकास के साथ आध्यात्मिक विकास भी करता रहे: आचार्यश्री महाश्रमण

15 अगस्त 2023 नन्दनवन-मुम्बई
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भारत के 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पावन संदेश प्रदान करते हुए फरमाया कि आज स्वतंत्रता दिवस है। भारत एक अच्छा देश है। भारत में अनेक संत, संन्यासी हैं। यहां विभिन्न धर्म ग्रंथों की संपदा है। देश को भौतिक विकास के साथ आध्यात्मिक विकास भी चाहिये। आर्थिक विकास भी चाहिये। नैतिकता की शक्ति भी देश में रहनी चाहिये। सब में सद्भावना रहे। सब में मैत्री भाव रहे। सब शांति से रहे। हम युद्ध से दूर रहें। शुद्ध-बुद्ध रहें।
आज का दिन महत्वपूर्ण दिवस है। सभी में नैतिकता, सद्भावना व नशामुक्ति का विकास होता रहे। भारत सभी क्षेत्रों के साथ आध्यात्मिक-धार्मिक उन्नति करता रहे।
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगल प्रेरणा प्रदान कराते हुए फरमाया कि भगवती सूत्र में श्रमणोपासकों का भी वर्णन प्राप्त होता है। भगवान महावीर के समय एक श्रमणोपासक शंख था।
शंख ने भगवान महावीर को वन्दन कर प्रश्न किया कि भन्ते! क्रोध में जीव क्या बंध करता है। किसका प्रक्रर्ष, चय, उपचय करता है। उत्तर दिया गया- क्रोध असातवेदनीय कर्मों का सघन बंध कराने वाला होता है। हम व्यवहार में देखते हैं कि कोई-कोई आदमी बहुत गुस्सा करता है। गुस्सा हमारा शत्रु है। गुस्सा दो तरह का होता है। एक तो आवेश भीतर में उठता है। आवेशवश बोलने वाला गुस्सा महाखराब है। एक गुस्सा मन में नहीं है, थोड़ी कड़ाई दिखाने के लिए थोड़े शब्द बोल देता है। मन में द्वेष भाव नहीं है। गुस्से-गुस्से में अन्तर है।
जो बात कहने की है, वह शांति से भी कही जा सकती है। हमारे में आवेश रूपी गुस्सा न रहे। मौका देखकर डांटना चाहिये। उलाहना भी पात्र को देखकर देना चाहिये। गुस्से में न रूठना चाहिये और न ही बोलना चाहिये।
पूज्यवर ने साधु-साध्वियों को अनेक प्रेरणाएं फरमायी।
चतुर्दशी पर पूज्यवर ने हाजरी का वाचन कराते हुए साधु-साध्वियों को प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप हमारी सम्पादाएं है, इनमें वर्धमानता रहे। पूज्यवर की आज्ञा से छोटी व नवदीक्षित साध्वियों ने लेख पत्र का वाचन किया।
पूज्यवर ने प्रथम बार लेखपत्र का वाचन करने वाली साध्वियों को 21-21 कल्याणक और दूसरी बार वाचन करने वाली साध्वियों को दो-दो कल्याणक बक्सीस प्रदान किए। चारित्रात्माओं द्वारा सामूहिक रूप से लेखपत्र का वाचन हुआ।
पूज्यवर ने मनीषा चिंडालिया को 31 की तपस्या, मीना कोठारी को 29 की तपस्या के तथा अन्य तपस्वियों को उनकी तपस्या के प्रत्याख्यान करवाये।
मुनिश्री हेमराजजी की स्मृति सभा
पूज्यवर ने छापर सेवा केन्द्र में गत दिनों दिवंगत मुनिश्री हेमराजजी ‘श्रीडूंगरगढ़’ के जीवनवृत्त के बारे में फरमाया कि बीदासर वृहद् दीक्षा समारोह में उनकी दीक्षा हुई थी। वे प्रकृति से भद्र थे। गुरु भक्ति भी उनके मुख से मुखरित होती रहती थी। उनकी आत्मा के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना करते हुए पूज्यवर ने चार लोगस्स का ध्यान करवाया।
मुख्य मुनि प्रवर, साध्वीप्रमुखा -श्रीजी, साध्वी निर्वाणश्रीजी, मुनि कोमल- कुमारजी, मुनि जितेन्द्रकुमारजी, मुनि सुधांशु- कुमारजी, मुनि अनेकान्त- कुमारजी ने दिवंगत मुनिश्री हेमराजजी की आत्मा के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना की। मुनिश्री हेमराजजी के संसारपक्षीय परिजन प्रदीप गंग ने भी अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये।
जीतो एपेक्स के चेयरमैन सुखलाल नाहर ने अपने भाव व्यक्त किये। पूज्यवर ने उन्हें आर्शीवचन प्रदान किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।
तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया ने श्रेष्ठ, उत्तम व विशिष्ट सभाओं के नामों की घोषणा की एवं मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया।