तेमंम की ‘उड़ान ज्ञान गगन में’ कार्यशाला का आयोजन

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तेमंम की ‘उड़ान ज्ञान गगन में’ कार्यशाला का आयोजन

मुम्बई
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ महिला मंडल मुंबई द्वारा आयोजित कार्यशाला को अयोजित हुआ। परम पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री महाश्रमणजी ने फ़रमाया धर्म के प्रति आस्था में कमी नहीं आनी चाहिए। संकट आ भी जाए तो उसका विषय अलग है। संकट में भी मजबूत रहे, वह खास बात है। जैन धर्म हमें मिला है, जहां वीतरागता की बात है। आत्मा अनंत काल से संसार में है यह भव भ्रमण मिटे इसके लिए धर्म की साधना होनी चाहिए।
इस कार्यक्रम की मुख्य वक्ता साध्वी दीप्तियशाजी ने नमस्कार महामंत्र से कार्यशाला की शुरुआत की। विषय- अंधेरी ओरी से नंदनवन को प्रतिपादित करते हुए फरमाया तेरापंथ धर्म लगभग 264 साल पुराना है लेकिन नवीनता लिए हुए हैं। हमारे अचार्यों ने मूल परंपरा को सुरक्षित रखा, साथ ही युगानुरुप परिवर्तन भी किया। समय के साथ विकास करते हुए शिखर चढ़ते गए। अनेक अवरोध- विरोध आते गये। आचार्यश्री भिक्षु के समय से लेकर आचार्यश्री तुलसी ने विरोधों का सामना किया। संघर्ष जहां होता है वहां व्यक्ति आत्मिक मानसिक संतुलन खो बैठता है, तो व्यक्ति हार जाता है। उसका सामना नहीं कर पाता है। लेकिन हम सौभाग्यशाली हैं हमारे आद्य प्रवर्तक आचार्य भिक्षु ने हमें सिखाया विरोधों का सामना कैसे करें? अपना चिंतन पॉजिटिव रखना है
साध्वीश्री ने घटनाओं के माध्यम से हमें तेरापंथ की झांकी के प्रारंभ से लेकर अभी तक के दर्शन करवाये। आचार्यश्री तुलसी के समय चाहे जयपुर में बाल दीक्षा का विरोध हो, रायपुर में अग्नि परीक्षा विरोध हो, चेन्नई में भाषा का विरोध हो, संघर्ष को झेलते हुए वे विकास के पायदान पर चढ़ते गए और इन विरोधों को भी विनोद में लेते गए। इस प्रकार कितने अनछुए पहलू को छुआ और एक्टिविटी के माध्यम से तेरापंथ इतिहास की रोचक जानकारी प्रस्तुत की। सीमा बाफना का व्यवस्था में सहयोग रहा। अल्का पटावरी ने संचालन और आभार ज्ञापन किया।