मुनि प्रतीककुमारजी ने किया लघुसिंह निष्क्रिड़ित तप
पुर, भीलवाडा.
तेरापंथ भवन, पुर में आचार्यश्री महाश्रमणजी के युग का प्रथम दुष्कर लघु सिंह निष्क्रिडि.ततप गुरु कृपा से उनके सुशिष्य मुनि प्रतीककुमारजी ने 28 वर्ष की उम्र में संपन्न कर तप के क्षेत्र में एक इतिहास रचा है।
इस अवसर पर आयोजित धर्मसभा में मुनि प्रतीककुमारजी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा- ‘इच्छाओं का निरोध करना ही तप का परिपालन है। जिस प्रकार आकाश अनंत और विशाल है, उसी प्रकार इच्छाएं अनंत हैं। इच्छाओं के बीच मानव जीवन यात्रा करता है। मनुष्य ही व्रत नियम और तपस्या कर सकता है। देवता व्रत नियम और तप नहीं कर सकते हैं। पशु का कोई लक्ष्य नहीं होता, उसे उसका मालिक जो देता है उतना खा लेता है। किंतु मानव अपने स्वयं के विवेक व बुद्धिबल से सोच विचार कर श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम कार्य निष्पादित कर जीवन का कल्याण कर सकता है।’
मुनिश्री ने पूज्य गुरुदेव, संतवृंद के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर संपूर्ण श्रावक समाज के प्रति अहोभाव व्यक्त किये।
मुनि पदमकुमारजी ने गीत के माध्यम से अपनी भावाभिव्यक्ति की। मुनि मोक्षकुमारजी ने इस दुष्कर तप का अनुमोदना करते हुए तपस्वी मुनिश्री के प्रति मंगलकामना व्यक्त की। मुनि पदमकुमारजी और मुनि मोक्षकुमारजी ने तपस्वी मुनि प्रतीककुमारजी को अपने हाथों से पारणा कराकर 187 दिन की लघुसिंह निष्क्रिड़ित तप की तपस्या परिसंपन्न करवा कृतार्थता का अनुभव किया।
मुनि प्रतीककुमारजी के दुष्कर तप के उपलक्ष्य में तेरापंथ युवक परिषद, पुर के आह्वान पर संपूर्ण देश-विदेश में मुनिश्री के पारणे के पहले दिन लगभग 1087 से ज्यादा श्रद्धालुओं ने उपवास कर तपस्वी मुनि को तप उपहार की भेंट दी। अनुमोदना के अनमोल क्षणों में प्रतीक मुनि के संसारपक्षीय पिताजी सुशील टोडरवाल, ऋतु टोडरवाल, विकास डांगी, उम्मेद सिंघवी, राजतिलक खाब्या, मीना पोखरना, चंद्रकांता चोरड़िया, ज्ञानेश्वर मेहता, अशोक मेहता, यशवंत डांगी, पूनम हिंगड़, मीना मेहता, सज्जन सिंघवी, प्रकाश बोहरा, अशोक संचेती, आजाद आंचलिया, भेरूलाल बाफना, अमर रांका, प्रभाकर नेनावटी, पंडित अशोक व्यास, मंजू पोखरणा आदि ने अपने विचार रखे। मंगलाचरण तेरापंथ कन्या मंडल, पुर की कन्याओं ने किया। पुर समाज, आमेट समाज और मोखुंदा समाज ने अपने-अपने गीतों की सामूहिक प्रस्तुति दी। आभार ज्ञापन राकेश कर्णावट व कार्यक्रम का संचालन संजय बोरदिया ने किया। इस अवसर पर अनेक क्षेत्रों से श्रद्धालुजन उपस्थित थे।