संस्कारों के बीज-वपन का उचित समय बचपन ही है

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संस्कारों के बीज-वपन का उचित समय बचपन ही है

शाहदरा
साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में ओसवाल भवन में ज्ञानशाला दिवस का भव्य कार्यक्रम समायोजित हुआ। इस कार्यक्रम में ओसवाल भवन, सूर्यनगर, लक्ष्मीनगर तथा वसुन्धरा ज्ञानशालाओं के सैंकड़ों बच्चे, प्रशिक्षिकाएं, व्यवस्थापक तथा अभिभावक उपस्थित थे।
साध्वी अणिमाश्रीजी ने अपने मंगल उद्‌बोधन में कहा- ‘व्यक्ति की वास्तविक पहचान जातियता, प्रान्तीयता, देश, वेश-परिवेश से नहीं बल्कि संस्कार से होती है। संस्कारों के बीज-वपन का उचित समय बचपन ही है। बचपन में जिन बीजों का वपन किया जाता है, भविष्य में वही बीज शतशाखी बनकर घर-परिवार को शीतल छाया प्रदान कर सकते हैं। ज्ञानशाला संस्कार जागरण का महत्वपूर्ण उपक्रम है। सिर्फ बौद्धिक विकास से सर्वांगीण व्यक्तित्व का निर्माण नहीं कहा जा सकता। सर्वांगीण व्यक्तित्व के निर्माण में संस्कारों की महत्वपूर्ण भूमिका है। अगर आप अपने बच्चों का सर्वांगीण विकास चाहते हैं तो बच्चों को ज्ञानशाला में जरूर भेजें। शाहदरा क्षेत्र में चार ज्ञानशालाएं चल रही हैं। चारों ज्ञानशालाएं अच्छी चल रही है। प्रशिक्षिकाएं एवं व्यवस्थापक अच्छा श्रम कर रहे हैं।
सूर्यनगर ज्ञानशाला के बच्चों ने योगासन पर प्रभावी एवं प्रेरणास्पद प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। ओसवाल भवन ज्ञानशाला के बच्चों ने डॉन्ट युज मी कार्यक्रम की रोचक प्रस्तुति दी। वसुन्धरा ज्ञानशाला ने ज्ञानशाला के महत्व को उजागर किया तथा लक्ष्मीनगर ज्ञानशाला ने अनुशासन पर अपनी मार्मिक प्रस्तुति दी।
तेरापंथी सभा, दिल्ली के महामंत्री प्रमोद घोड़ावत, शाहदरा सभाध्यक्ष पन्नालाल बैद, दिल्ली ज्ञानशाला संयोजक अशोक बैद, तेममं पूर्वी दिल्ली अध्यक्ष सरोज सिपानी, तेयुप दिल्ली उपाध्यक्ष राकेश बैंगानी ने विचार व्यक्त किए। चारों ज्ञानशालाओं की प्रशिक्षिकाओं ने मंगल संगान किया। सभी बच्चों ने प्रार्थना एवं प्रतिज्ञा का वाचन परिषद के बीच किया। कार्यक्रम का संचालन प्रशिक्षिका प्रतिभा चोरड़िया एवं आभार ज्ञापन विजयसिंह बैद ने किया।