आत्म शुद्धि का सौपान- पर्युषण महापर्व

संस्थाएं

आत्म शुद्धि का सौपान- पर्युषण महापर्व

श्याम नगर, जयपुर
साध्वी मंगलप्रभाजी के पावन सान्निध्य में पर्युषण महापर्व की आराधना बहुत ही सुचारु रूप से संपन्न हुई। अपनी सुमधुर सरल वाणी से साध्वीश्री ने इन आठ दिनों में सारगर्भित प्रवचन द्वारा एक-एक दिन की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हम पर्युषण महापर्व क्यों मनाते हैं, इसे कैसे मनाना चाहिए तथा इन आठ दिनों में क्या करणीय है, क्या अकरणीय है। इसके साथ ही आपने विविध राग-रागनियों में भगवान महावीर के पूर्व भवों का विवेचन आचारांग सूत्र के आधार पर किया, जो श्रोताओं के आकर्षण का केन्द्र रहा। केन्द्र द्वारा निर्दिष्ट पर्युषण साधना के बिन्दुओं पर भी आपने प्रकाश डाला।
संवत्सरी महापर्व के पावन प्रसंग पर साध्वी मंगलप्रभाजी ने संवत्सरी का हार्द कुछ घटना प्रसंगों द्वारा बताते हुए सभी को निशल्य बनने की प्रेरणा दी। क्षमायाचना के महत्व को समझाते हुए विशाल परिषद् से आह्वान किया कि इस महापर्व पर सबको शुद्ध अन्तः करण से क्षमायाचना करनी है, ताकि सभी अपने सम्यक्त्व को सुरक्षित रख सकें। संवत्सरी महापर्व पर लगभग आठ घंटे तक प्रवचन का क्रम अनवरत चला। साध्वीजी के साथ-साथ साध्वी सुमनकुमारीजी, साध्वी समप्रभाजी, साध्वी प्रणवप्रभाजी ने भी विविध विधाओं में संवत्सरी के इतिहास के साथ जैन धर्म तथा तेरापंथ के इतिहास की जानकारी दी। केन्द्र द्वारा आठों दिन के निर्दिष्ट विषयों पर साध्वी समप्रभाजी व प्रणवप्रभाजी ने प्रकाश डाला। आगम के आधार पर साध्वी प्रणवप्रभाजी ने उपदेश दिया।
भिक्षु साधना केन्द्र के पदाधिकारी, तेरापंथी सभा के संगठन मंत्री सुरेन्द्र सेठिया, तेयुप से अभिषेक, मनीष आदि सदस्यों ने तथा तेरापंथ महिला मण्डल, सी स्कीम की बहिनों ने पूरी जागरुकता से कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। प्रतिदिन का मंगलाचरण प्रत्येक कॉलोनी से तेरापंथ महिला मण्डल की महिलाओं तथा तेरापंथ युवक परिषद् के युवकों ने किया। रात्रिकालीन कार्यक्रमों के अर्न्तगत तेरापंथ का इतिहास साध्वी समप्रभाजी व साध्वी प्रणवप्रभाजी के द्वारा सुनाया गया।