आचार्य भिक्षु चरमोत्सव के आयोजन
सिकंदराबाद
साध्वी डाॅ0 मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में आचार्य भिक्षु चरमोत्सव मनाया गया। साध्वीश्री जी ने कहा कि महामना आचार्य भिक्षु हमारे श्रद्धा के केंद्र हैं, तेरापंथ के भाग्यविधाता और जन-जन के श्रद्धा आस्था के अभिनव आलेख हैं। सोते-जागते और कठिन परिस्थितियों में जिनका नाम प्राणाधार के रूप में हर मुख पर भिक्खू-स्याम के रूप में रहता है। उन्होंने कलिकाल में चतुर्थ आरे जैसी रचना हमें दिखाई है। आज हम उन तेजस्वी, यशस्वी, महामनस्वी, महातपस्वी, महावर्चस्वी पुण्यात्मा का चरमोत्सव मना रहे हैं। साध्वीश्री द्वारा आचार्य भिक्षु के जीवन के आद्योपांत प्रेरक प्रसंग सुनाए। साध्वीश्री जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु संकटमोचक के रूप में विख्यात हैं। आचार्य भिक्षु का पुरुषार्थ भी प्रणम्य है। उन्होंने अपने ज्ञान से जिनशासन को उद्योतित किया। लाखों-करोड़ों लोग आज उनके भक्त बने हुए हैं।
अभातेममं के द्वारा निर्देशित संगान साध्वी डाॅ0 मंगलप्रज्ञा जी ने समस्त श्रावक-श्राविकाओं को एक साथ करवाया। लगभग 600 लोगों ने एक साथ स्वामीजी की इस गीतिका का संगान किया।
साध्वी सुदर्शनप्रभा जी, साध्वी सिद्धियशा जी, साध्वी राजुलप्रभा जी, साध्वी चैतन्यप्रभा जी, साध्वी शौर्यप्रभा जी ने साध्वी डाॅ0 मंगलप्रज्ञा जी द्वारा रचित भिक्षु अभ्यर्थना गीत का संगान किया। लक्ष्मीपत डूंगरवाल ने कविता प्रस्तुत की। तेरापंथ महिला मंडल की हर्ष लता दुधोड़िया, प्रेम संचेती, प्रेम दुगड़, समता डोसी, गीतिका नाहटा ने प्रस्तुति दी। झलक से संदर्भित उन प्रश्नों के उत्तर बताने पर महिला मंडल द्वारा पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर चाडवास निवासी चैतन्यपुरी हैदराबाद प्रवासी कमल संचेती ने 16 दिनों के तप का प्रत्याख्यान किया। पारिवारिक जनों ने तप-अभिनंदन गीत प्रस्तुत किया। साध्वीवृंद ने अनुमोदन-स्वर प्रस्तुत किए। रात्रिकालीन धम्म जागरण का आयोजन किया गया। तेरापंथ सभा द्वारा तपस्वी भाई का सम्मान किया गया।