चित्त समाधि कार्यशाला का आयोजन

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चित्त समाधि कार्यशाला का आयोजन

छोटी खाटू।
साध्वी संघप्रभा जी के सान्निध्य में चित्त समाधि कार्यशला के तहल कैसे हो सुख में बुढ़ापा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मंगलाचरण सोनाली बाफना ने भिक्षु अष्टकम से किया। साध्वी संघप्रभा जी ने कहा कि उम्र की वह डाली का पका हुआ फल है जो जीवन के खट्टे-मीठे अनुभव के रसों से होता है केवल 70-80 वर्ष की उम्र का नाम ही बुढ़ापा नहीं है हकीकत में निराशापन, निकम्मापन, निषेधात्मक विचार जवानों को भी बूढ़ा बना देता है। जबकि नियमित योग, प्राणायाम सत्य साहित्य सद्विचार इंद्रिय संयम, आहार संयम, आग्रह आवेश संयम, माँ का संतुलन बुढ़ापे को सुखमय बना देता है।
इसी संकलन में साध्वी प्रांशुप्रभा जी ने कहा कि बुढ़ापा दुखदायी नहीं वरदान है। बुढ़ापे को सुख में बनाने के टिप्स एवं चित्त समाधि में बाधक तत्त्वों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। इसी शंृखला में मुख्य वक्ता गजराज बेताला ने बुढ़ापा कैसे सुख में बनाया जा सकता है, उसके प्रयोग बताए। इसी कड़ी में राजू देवी वेद, कपूरचंद धारीवाल ने अपने विचार व्यक्त किए। महिला मंडल की बहनों ने गीतिका प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन साध्वी प्रज्ञाप्रभा जी ने किया। कार्यक्रम में सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति रही।