विकास महोत्सव का आयोजन
पीतमपुरा, दिल्ली।
शासनश्री साध्वी रतनश्री जी ने विकास महोत्सव के शुभारंभ की अवगति देते हुए कहा कि सुजानगढ़ मर्यादा महोत्सव पर आचार्यश्री तुलसी ने अपने आचार्य पद का विसर्जन कर दिया। आचार्य महाप्रज्ञ को आचार्य बना दिया। वहाँ से आप दिल्ली चातुर्मास के लिए पधारे। भाद्रव शुक्ला नवमी का दिन आया। आपने कहा कि अब मेरा पट्टोत्सव नहीं मनाया जाएगा। पट्टोत्सव महाप्रज्ञ का होगा। तत्काल प्रांजल प्रज्ञा के धनी आचार्य महाप्रज्ञ जी ने कहाµहम पट्टोत्सव नहीं इस दिन विकास महोत्सव मनाएँगे।
आचार्य तुलसी विकास पुरुष थे। आपने विकास के नए-नए स्रोत खोले। जिनका पूरा आकलन करना असंभव है। तेरापंथ धर्मसंघ ने जो आकाशीय ऊँचाइयाँ प्राप्त की हैं। उसका कारण आचार्य तुलसी की पारदर्शी दृष्टि एवं क्रांतिकारी चिंतन है। शासनश्री साध्वी सुव्रतांजी ने कहा कि आचार्य तुलसी एक सिद्ध पुरुषथे। उनका वचन वरदान था। चिंतन संधान था। कर्म अवदान था। आप एक शक्ति संपन्न आचार्य थे। आपने जो सोचा वह कर दिखाया।
शासनश्री साध्वी सुमनप्रभा जी ने कहा कि आप एक महादीप थे कितने दीपों को प्रज्वलित किया। आप एक कुशल माली थे, अनेकों बीजों को फलवान बनाया। आप एक कुशल कलाकार थे, कितने अनघड़ पत्थरों को प्रतिमा का रूप दिया। साध्वी कार्तिकप्रभा जी ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी महनीय व्यक्तित्व के धनी थे। उनकी अमृत भरी नजरें जिस पर टिक आती वह कृतार्थ हो जाता, उनके दो कृपापूर्ण शब्द मिल जाने से वह धन्यातिधन्य बन जाता।
कार्यक्रम का शुभारंभ तुलसी अष्टकम से साध्वी कार्तिकप्रभा जी, साध्वी चिंतनप्रभा जी ने किया। तेरापंथ महासभा के उपाध्यक्ष संजय खटेड़, खिलौनी देवी धर्मशाला के पारिवारिक सदस्य महेश कुमार एवं ललित कुमार, पीतमपुरा सभा उपाध्यक्ष मनफूल देवी, वीरेंद्र कुमार आदि वक्ताओं ने तुलसी चरणों में श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम का संयोजन साध्वी चिंतनप्रभा जी ने किया। तुलसी अभिवंदना के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।