सामुहिक आयंबिल अनुष्ठान का आयोजन

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सामुहिक आयंबिल अनुष्ठान का आयोजन

गुलाबबाग।
मुनि रमेश कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथी सभा एवं तेममं के संयुक्त तत्त्वावधान में तेरापंथ भवन, गुलाबबाग के प्रज्ञा सभागार मेें सुख-शांति समृद्धि एवं सामुहिक आयंबिल अनुष्ठान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गुलाबबाग, किशनगंज, खुश्कीबाग, कटिहार, अररिया कोर्ट आदि अनेक क्षेत्रों में भी आयंबिल अनुष्ठान किया गया। सब मिलाकर 150 से अधिक सामुहिक आयंबिल हुए।
जैन धर्म में आयंबिल तप का महत्त्व बताते हुए मुनि रमेश कुमार जी ने कहा कि भगवान महावीर ने कर्मों को क्षय करने के लिए बारह प्रकार के तप बताए। व्यक्ति अपनी रुचि और क्षमता अनुसार इनकी आराधना कर सकते हैं। उसमें से एक तप हैµआयंबिल या रसपरित्याग। भगवान महावीर के 14000 शिष्यों में धन्य मुनि दीक्षा के बाद जीवन पर्यन्त तपस्या के
पारने में निरस आहार ही लेते थे। जिसकी भगवान ने अपने श्रीमुख से ऐसी दुष्कर तपस्या की प्रशंसा की। आयंबिल अर्थात आयाम और अम्ल, आयाम का अर्थ है ‘समस्त’ और अम्ल यानी रस। जिसकी आराधना, साधना कभी निष्फल नहीं जाती। स्वाद विजय की अनुपम साधना है आयांबिल तप।
आपने आगे कहा कि आयंबिल तप एवं नमस्कार महामंत्र की अखंड साधना का आदर्श उदाहरण है श्रीपाल मैना सुंदरी का कथानक। वासुदेव श्रीकृष्ण ने बाइसवें तीर्थंकर भगवान अरिष्टनेमी से द्वारका नगरी की सुरक्षा का उपाय पूछा। भगवान अरिष्टनेमी ने कहाµजब तक द्वारिका में आयंबिल तप चलेगा तब तक द्वारिका नगरी को किसी से भी खतरा नहीं है। ऐसे अनेक उदाहरण जैन इतिहास में हैं। प्राकृतिक चिकित्सा में आजकल आयंबिल के प्रयोगों से बीमारियाँ दूर करने के लिए भी किया जाता है।
मुनि रत्न कुमार जी ने कहा कि आज हर व्यक्ति चाहता है उसके घर, परिवार में सुख-शांति और समृद्धि हो। इसके लिए वह सतत प्रयत्न भी करता है। फिर भी शांति की जगह अशांति मिलती है। सुख की जगह दुख। ऐसे समय मे प्रभावशाली जैन मंत्रों का प्रयोग लाभकारी होता है। तेममं ने आयंबिल गीत से मंगलाचरण किया। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष सुशील संचेती ने आयंबिल तप करने वाले भाई-बहनों का अभिनंदन किया। मुनि रमेश कुमार जी ने इस अवसर पर प्रभावशाली जैन मंत्रों का जप अनुष्ठान कराया।