ज्ञानशाला संस्कार निर्माण का श्रेष्ठ उपक्रम
साउथ कोलकाता।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में तथा तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में द्विदिवसीय ज्ञानशाला प्रशिक्षिका रिफ्रेसर कार्यशाला का शुभारंभ तेरापंथ भवन में हुआ। जिसमें तेरापंथ महासभा के अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया, ज्ञानशाला के राष्ट्रीय संयोजक सोहनलाल चोपड़ा, ज्ञानशाला राष्ट्रीय अध्यापक डालमचंद नवलखा, तेरापंथ महासभा के उपाध्यक्ष नेमचंद बैद, आंचलिक प्रभारी तेजकरण बोथरा विशेष रूप से उपस्थित थे। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में संस्कारों का बहुत बड़ा महत्त्व है। संस्कारों से ही व्यक्ति की पहचान होती है। संस्कार नैसर्गिक व अधिगमज दोनों प्रकार के होते हैं। संस्कार प्राप्ति के तीन स्थान हैंµघर, विघालय, धर्म स्थान। संस्कार के बीजारोपण का समय बचपन है। बचपन में जो संस्कार आते हैं वे पचपन में नहीं आते। संस्कारों के विकास के लिए ज्ञानशाला महत्त्वपूर्ण उपक्रम है। ज्ञानशाला ज्ञान वृद्धि का उपक्रम है।
इस अवसर पर बाल मुनि कुणाल कुमार जी ने गीत का संगान किया। तेरापंथ महासभा के अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया ने कहा कि ज्ञानशाला का कार्यक्रम संस्कार निर्माण का कार्यक्रम संस्कारों के साथ धर्मसंघ की जड़ों को मजबूत करता है व भविष्य को सुरक्षा प्रदान करता है। ज्ञानशाला के संयोजक सोहनलाल चोपड़ा ने कहा कि देशभर में 570 ज्ञानशाला, 18 हजार ज्ञानार्थी लाभान्वित होते हैं। ज्ञानशाला के पास चार हजार प्रशिक्षिकाएँ हैं। तेरापंथ महासभा के उपाध्यक्ष नेमचंद बैद ने कहा कि तेरापंथ महासभा भविष्य की सुरक्षा रखने वाली संस्था है। राष्ट्रीय ज्ञानशाला के अध्यापक डालमचंद नवलखा, तेरापंथ सभा के अध्यक्ष विनोद कुमार चोरड़िया, दक्षिण बंगाल ज्ञानशाला के प्रभारी डाॅ0 प्रेमलता चोरड़िया ने विचारों की प्रस्तुति दी। मंगलाचरण ज्ञानशाला के प्रशिक्षिकाओं ने किया। संचालन मुनि परमानंद जी ने किया।