भगवान महावीर के जीवन से हम अच्छी बातें ग्रहण करने का प्रयास करें : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

भगवान महावीर के जीवन से हम अच्छी बातें ग्रहण करने का प्रयास करें : आचार्यश्री महाश्रमण

नंदनवन, 13 नवंबर, 2023
कार्तिक कृष्णा अमावस्या, परम दयालु, परम प्रभु का परिनिर्वाण दिवस। आज ही के दिन अर्द्धरात्रि को भगवान महावीर दो दिन के अनशन में 16 प्रहर की देशना प्रदान कराते हुए परिनिर्वाण को प्राप्त हो गए थे। प्रभु के प्रथम गणधर इंद्रभूति गौतम को भी आज ही की रात्रि में कैवल्य प्राप्त हुआ था। दोनों के जीवन से जुड़ा आज का यह पावन दिन है। तीर्थंकर के प्रतिनिधि, वर्तमान युग के महावीर आचार्यश्री महाश्रमण जी ने जिन वाणी का रसास्वादन कराते हुए फरमाया कि तपस्या अध्यात्म साधना का एक अंग है। अहिंसा, संयम और तप धर्म है। यह अध्यात्म की सारपूर्ण बात आ गई। अहिंसा, संयम और तप के सिवाय अध्यात्म की चीज है क्या? इसके सिवाय कोई चैथी चीज मुझे अधिकृत रूप में समझा सकता है, तो मैं किसी साधु-साध्वी से समझना चाहता हूँ। यहाँ भगवती सूत्र में तप का एक प्रकार बताया गया हैµअवमोदरी-ऊनोदरी। यानी थोड़ा पेट खाली रखना, कम खाना। उपकरणों की कमी रखना, पानी कम पीना, यह द्रव्य अवमोदरिका है। भाव अवमोदरिका के अंतर्गत गुस्से, अहंकार, माया, लोभ की ऊनोदरी आती है। भगवान महावीर ने तो कितनी तपस्या की थी।
आज कार्तिक अमावस्या का दिन है, जो भगवान महावीर के परिनिर्वाण से जुड़ा दिन है। 49 वर्ष पूर्व गुरुदेव तुलसी की सन्निधि में दिल्ली में भगवान महावीर की पच्चीसवीं निर्वाण शताब्दी मनाई गई थी। समस्त जैन समाज की एकता के रूप में अनेक बातें उजागर हुई थीं। आज 2550वीं निर्वाण तिथि है। थोड़ा जप-तप भी इस दिन होता रहे। इस निमित्त से एक वर्ष के कार्यक्रम का आज से शुभारंभ कर रहे हैं। अमावस्या के दिन ज्यादा से ज्यादा जप, तप, स्वाध्याय किया जाए। लोगों को भगवान और अध्यात्म के बारे में बता सकते हैं। जैनम् जयतु शासनम् के तत्त्वावधान में आज से शुभारंभ कर रहे हैं।
जैन धर्म की जानकारी जेल में कैदियों को व काॅलेज में छात्रों को बताकर समझाया जा सकता है। साधु-साध्वियाँ, समणियाँ, उपासक-उपासिकाएँ व श्रावक समाज भी अमावस्या के दिन यह कार्य कर सकते हैं, ताकि लोग अधर्म से धर्म की ओर आएँ। जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा के तत्त्वावधान में सभी संस्थाएँ कार्य कर सकती हैं। भगवान महावीर का जीवन बहुत साधनामय था। किसी भी धर्म-संप्रदाय में महान पुरुष हो सकते हैं, उनके जीवन से हम अच्छी बातें ग्रहण करने का प्रयास करें। अच्छी-सच्ची बात कहीं पर मिले अच्छी तो अच्छी ही है। जैन शास्त्रों में तो कितनी बढ़िया चीजें मिलती हैं और ग्रंथों में भी अच्छी बातें मिल सकती हैं।
हम तो भगवान के शासन में जैन धर्म से जुड़े हुए जी रहे हैं। उनके प्रति हमारी श्रद्धा, भक्ति और आस्था उतनी ही रहनी चाहिए। प्रभु के गुण हमारे में भी प्रकट हों। हम अध्यात्म की दिशा में आगे बढ़े, यह मंगलकामना। पूज्यप्रवर ने तेले एवं अन्य तपस्या के प्रत्याख्यान करवाए। मुनि राहुलकुमार जी ने पूज्यप्रवर से 35 की तपस्या के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। चारित्रात्माओं में यह नंदनवन का पाँचवाँ मासखमण हो रहा है। अमेरिका के ओरलेंडो में समणी सेंटर के संयोजक देवांग भाई चितलिया आदि पूज्यप्रवर की सन्निधि में आए हैं। पूज्यप्रवर ने इस सेंटर के लिए आशीर्वचन फरमाया। साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी ने भी इसके विकास की मंगलकामना की। समणी अमलप्रज्ञाजी एवं समणी अक्षयप्रज्ञा जी ने इस सेंटर की जानकारी दी। देवांग भाई चितलिया ने भी वहाँ की गतिविधियों की जानकारी दी। व्यवस्था समिति के अध्यक्ष ने भी अपनी भावना अभिव्यक्त की। मुनि मोहजीत कुमार जी ने भगवान महावीर के प्रति अपनी भावाभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।