गुरुदेव तुलसी द्वारा प्रदत्त अणुव्रत करता है जन-जन का कल्याण : आचार्यश्री महाश्रमण
नंदनवन, 17 नवंबर, 2023
जिनशासन प्रभावक आचार्यश्री महाश्रमण जी ने अर्हत् वाङ्मय की विवेचना करते हुए फरमाया कि प्राचीन शास्त्रों में अनेक विषयों पर प्रकाश डाला गया है। भारत के पास एक यह अच्छी संपत्ति है कि इतने ग्रंथ प्राच्य रूप में हमें प्राप्त हैं। अनेक भाषाओं के अनेक ग्रंथ मिल सकते हैं। इन ग्रंथों से पथदर्शन भी प्राप्त होता है। जीवन को अच्छा बना परम तत्त्व की ओर आगे बढ़ना यह संदेश इनसे प्राप्त किया जा सकता है।
भगवती सूत्र में बाह्य तप का छठा प्रकार है-प्रतिसंलीनता। उसका पहला भेद तो इंद्रिय संयम है। यहाँ दूसरा संयम कषाय प्रतिसंलीनता। कषायों के द्वारा कर्म-मल की आय होती है। संसार में भ्रमण होता है। चार कषाय-क्रोध, मान, माया और लोभ है। इनका संयम करना चाहिए। मन, वाणी और शरीर में गुस्सा आए ही नहीं, उसका निरोध करना चाहिए। गुस्सा आए ही नहीं ऐसा उपाय करना चाहिए। गुस्सा जहाँ आए उस स्थान को छोड़कर चले जाओ। गुस्से को विफल करें। घमंड आना भी अच्छी बात नहीं है, उसे भी विफल करने का प्रयास हो। ज्ञान होने पर भी मौन रखना बड़प्पन है। शक्ति है, फिर भी क्षमा करना बड़प्पन है। तपस्या, लाभ सत्ता आदि का घमंड नहीं करना चाहिए।
माया व छल-कपट का भी निरोध करना चाहिए। दूसरों को ठगना खुद का नुकसान करने जैसा हो सकता है। लोभ उदय में आए ही नहीं, आ जाए तो उसे विफल करने का प्रयास करो। अति लोभ में नहीं जाना चाहिए। लोभ तो पाप का बाप है। कषायों को विफल करना एक अच्छी तपस्या होती है। अणुविभा के तत्त्वावधान में आयोजित अणुव्र्रत लेखक सम्मेलन का दूसरा दिन। ‘अणुव्रत लेखक पुरस्कार-2023’ इकराम राजस्थानी को प्रदान किया गया। इकराम राजस्थानी ने अपनी भावना अभिव्यक्त करते हुए कहा कि अणुव्रत मानव कल्याण का काम कर रहा है। अणुव्रत सब धर्मों से ऊपर उठकर काम करता है।
‘अणुव्रत गौरव पुरस्कार’ उपासक, प्रतिमाधारी श्रावक डालमचंद कोठारी को प्रदान किया गया। प्रशस्ति-पत्र का वाचन राजेश सुराणा ने किया। डालमचंद कोठारी ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी। पूज्यप्रवर ने आशीर्वचन फरमाया कि अणुव्रत और महाव्रत संयम की साधना है। महाव्रत तो कीमती हीरा है। अणुव्रत की साधना जैन श्रावक की साधना है। पर गुरुदेव तुलसी ने अणुव्रत को जन-जन के कल्याण के लिए स्थापित कर दिया था। इकराम राजस्थानी के लेखकत्व से दूसरों को प्रेरणा मिल सकती है। युवा व प्रौढ़ कार्यकर्ता अणुव्रत का कार्य कर रहे हैं। डालमचंद कोठारी प्रतिमा की साधना से व अणुव्रत से जुड़े हुए हैं। अणुविभा सोसायटी भी अहिंसा के प्रचार-प्रसार में और विकास करती रहे।
अणुव्रत अमृत महोत्सव के संयोजक संचय जैन ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। सज्जन देवी रांका-पुतुर-ब्यावर ने 9 की तपस्या के प्रत्याख्यान पूज्यप्रवर से ग्रहण किए। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।