आचार्यश्री तुलसी की दृष्टि पारदर्शी थी
शालीमार बाग, दिल्ली।
तेरापंथ भवन में तुलसी के 110वें जन्म दिवस को अणुव्रत दिवस के रूप में मनाते हुए शासनश्री साध्वी रतनश्री जी ने कहा कि अणुव्रत मिशन को लेकर आचार्य तुलसी ने लंबी-लंबी पदयात्राएँ की। अणुव्रत की आवाज को गरीब की झोंपड़ी से राष्ट्रपति भवन तक पहुँचाया। विदेशों में जैन धर्म की नई पहचान बनाई। जन-जन से जुड़ा हुआ यह आंदोलन आज भी अपनी मशाल को हाथों में लिए प्रकाश की रश्मियाँ बिखेर रहा है। शासनश्री साध्वी सुव्रतांजी ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी की दृष्टि पारदर्शी थी, उन्होंने युग को परखा और समझा। उनकी ओजस्वी वाणी ने धर्म को ग्रंथों और पंथों से निकालकर जीवन व्यवहार में प्रतिष्ठित करने के लिए आह्वान किया। उसी की फलश्रुति हैµअणुव्रत।
शासनश्री सुमनप्रभा जी ने कहा कि युग आते हैं और चले जाते हैं कुछ ऐसे व्यक्ति इस धरा पर अवतरित होते हैं जो युग के अनुकूल चलने के लिए कुछेक अवदान प्रदान करते हैं। यही काम आचार्यश्री तुलसी ने किया। अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान के द्वारा जीवन को परिष्कृत करने के लिए प्रेरित किया। साध्वी कार्तिकप्रभा जी ने कहा कि आचार्य तुलसी एक शक्ति संपन्न आचार्य थे। उन्होंने जो सोचा वह कर दिखाया। व्यक्ति, समाज और राष्ट्र निर्माण के लिए अपने जीवन के अमूल्य क्षणों को लगाया। अपने संकल्पों को फलवान बनाया। कार्यक्रम का शुभारंभ ज्ञानार्थी दिविज ने तुलसी अष्टकम से किया।
तेरापंथ महासभा उपाध्यक्ष संजय खटेड़, तेरापंथ सभा अध्यक्ष सज्जन गिड़िया, अणुव्रत समिति, दिल्ली के मंत्री राजेश बैंगानी, अणुव्रत समिति उपाध्यक्ष कमल, शालीमार बाग महिला मंडल, उत्तर-मध्य दिल्ली महिला मंडल अध्यक्षा मधु जैन, शालीमार बाग, महिला मंडल आदि वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। गीत एवं वक्तव्य के द्वारा साध्वी कार्तिकप्रभा, साध्वी चिंतनप्रभा जी ने आचार्यश्री तुलसी का अभिवादन किया। कार्यक्रम का संयोजन तेरापंथ सभा के मंत्री अनिरुद्ध जैन ने किया। कार्यक्रम में अरिहंत नगर, रोहिणी, माॅडल टाउन आदि स्थानों से श्रावक-जन समुपस्थित थे।