तनाव को पाले नहीं, टालने का प्रयास करें

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तनाव को पाले नहीं, टालने का प्रयास करें

औरंगाबाद।
आज का युग एक विषम समस्या से जूझ रहा है और यह समस्या 8 साल से 80 वर्ष तक के प्रत्येक व्यक्ति में पाई जाती है। उस समस्या का नाम हैµतनाव। बदलते परिवेश का जो प्रभाव हमारे मन पर पड़ता है और हमारे जीवन में घर कर जाता है उसे तनाव कहते हैं। हम खुद ही समस्या है और हम खुद ही समस्या का समाधान हैं। समस्या आना पार्ट आॅफ लाइफ है और उस समस्या का हँसते-हँसते समाधान खोज लेना आर्ट आॅफ लाइफ है।
तनाव को पालने की बजाय टालने का प्रयास करें। तनाव के निवारण का प्रथम चरण हैµसकारात्मक चिंतन। सकारात्मक चिंतन हमारे जीवन में रचनात्मक सृजन करता है। तनाव निवारण का दूसरा उपाय हैµवर्तमान में जीना। आजकल व्यक्ति या तो भूतकाल में जीता है या फिर भविष्य की कल्पनाओं में वर्तमान में रहना तो मानो उसने सीखा ही नहीं। वर्तमान में रहने वाला जीवन का निर्माण करता है। हमें जिंदगी तनाव में गुजारने के लिए नहीं आनंद से संवारने के लिए मिली है। सहयोगी मुनि भरत कुमार जी ने कहा कि सुप्रभातम की तरह जीवन का शुभारंभ करें, हँसो और हँसाओ तनाव को दूर भगाओ। चिंतन छोड़ो सुख से जीओ टेंशन को दूर भगाओ। ऐसे अनेक महत्त्वपूर्ण सूत्र बताए। बाल संत मुनि जयदीप कुमार जी ने कहा कि चिंता चक्रव्यूह के समान होती है। स्वागत भाषण अक्षय तृतीया व्यवस्था समिति के अध्यक्ष सुभाष नाहर ने दिया और आभार ज्ञापन अध्यक्ष कौशिक सुराणा ने किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅक्टर अनिल नाहर ने किया। आचार्यश्री महाश्रमण अक्षय तृतीया व्यवस्था समिति, तेरापंथ सभा, तेयुप, तेममं, टीपीएफ, इंडियन डेंटल एसोसिएशन, नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन, नेशनल होम्योपैथिक इंटिग्रेटेड मेडिकल प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन, महाराष्ट्र, इंस्टिट्यूट चार्टर्ड अकाउंटेंट आॅफ इंडिया, औरंगाबाद ब्रांच, इंस्टिट्यूट आॅफ कंपनी सेक्रेटरीज आॅफ इंडिया आदि अन्य संस्थाओं ने मिलकर इस कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया।