स्वर विज्ञान कार्यशाला का आयोजन
सिकंदराबाद।
तेरापंथ भवन में ‘स्वर विज्ञान से संभव है अनेक समाधान’ विषय पर साध्वी डाॅ0 मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि भारत अध्यात्म की उर्वरा भूमि रही है। अध्यात्म के कारण ही भारत में विश्व गुरुत्व का खिताब अर्पित किया है। भारत समृद्धि के कारण सोने की चिड़िया के रूप में प्रख्यात हुआ। भैतिकता की दृष्टि से भारत कृषि प्रधान देश और आध्यात्मिक दृष्टि से यह ऋषिप्रधान देश रहा है। अध्यात्म के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए इस पवित्र वसुंधरा को अनेक दिव्य आत्माओं, साधकों का मार्गदर्शन भी मिलता रहा है। स्वर विज्ञान एक समाधायक आधार है। हमारी जीवन यात्रा प्राणशक्ति के आधार पर चल रही है। स्वर विज्ञान की बात योग साधना से जुड़ी हुई है।
साध्वीश्री जी ने कहा कि स्वर विज्ञान की सम्यक् साधना से शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। अपने सुचिंतित कार्य की सफलता में भी स्वर की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। तत्त्वज्ञान की भाषा में जिसे तेजस शक्ति जागरण कहा जाता है और प्रेक्षाध्यान की भाषा में 13 चैतन्य केंद्र साधन शक्ति संपन्न स्थान है। इस अवसर पर टीपीएफ के सदस्यगण, तेयुप एवं किशोर मंडल के सदस्यों की उपस्थिति रही।