मासखमण की तपस्या करने के लिए चाहिए मजबूत मनोबल
पर्वत पाटिया।
साध्वी हिमश्री जी के सान्निध्य में मासखमण तपस्वी इंद्रचंद बोथरा का तेरापंथी सभा, पर्वत पाटिया द्वारा बहुमान किया गया। इस अवसर पर साध्वी हिमश्री जी ने कहा कि जैन दर्शन में तपस्या का विशेष महत्त्व बताया गया है। प्रत्येक व्यक्ति मुक्ति चाहता है, लेकिन अनंत-अनंत समय से कर्म बंधन के कारण व्यक्ति का भव भ्रमण हो रहा है। भव भ्रमण के जंजाल से छूटने का एक ही मार्ग है और वह हैµतपस्या। तपस्या के द्वारा पूर्व कृत कर्मों की निर्जरा होती है और आत्म विशुद्ध बनती है। सुश्रावक इंद्रचंद ने अपने जीवन में कभी भी तेले से अधिक की तपस्या नहीं की थी। लेकिन अभी वे मासखमण की तपस्या कर रहे हैं। उनका तन बल इतना नहीं है लेकिन उनका मनोबल बहुत ही ऊँचा है। वास्तव में मजबूत मनोबल वाला मनुष्य ही मासखमण जैसी कठोर तपस्या कर सकता है।
शासनश्री साध्वी रमावती जी ने कहा कि तपस्या के द्वारा शरीर और आत्मा दोनों की विशुद्धि होती है। वर्तमान में तो विज्ञान भी तपस्या की शक्ति को स्वीकार कर रहा है। तप ज्योति है तो ज्वाला भी है। तप शरीर का दमन है तो कषायों का उपशमन भी है। तप के द्वारा इंद्रचंद ने इंद्रिय विजय का मार्ग प्राप्त किया है। वे इस मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ते रहें, यही मंगलकामना। अणुव्रत विश्व भारती के गुजरात प्रभारी अर्जुन मेडतवाल, तेरापंथी सभा, पर्वत पाटिया के मंत्री प्रदीप गंग, उपाध्यक्ष संजय बोहरा, पूर्व मासखमण तपस्वी हेमराज छाजेड़, महिला मंडल अध्यक्ष डाॅ0 रंजना कोठारी, तेरापंथी सभा के पूर्व अध्यक्ष ज्ञानचंद कोठारी, तेयुप उपाध्यक्ष दिलीप चावत, प्रदीप पुगलिया आदि ने तप अनुमोदना की।
साध्वी चैतन्ययशा जी एवं साध्वी चारुप्रभा जी तथा साध्वीवृंद द्वारा तप अनुमोदना गीत का संगान किया। तेरापंथी सभा, पर्वत पाटिया द्वारा तपस्वी इंद्रचंद को अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मान किया गया। मंगलाचरण महिला मंडल की बहनों द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी मुक्तिश्री जी ने किया।