भगवान महावीर निर्वाण दिवस का आयोजन
सिकंदराबाद
तेरापंथ भवन में साध्वी डाॅ0 मंगलप्रज्ञा जी ने महावीर निर्वाणाोत्सव के अवसर पर कहा कि भगवान महावीर ने अहिंसा, संयम और तप की उत्कृष्ट साधना की है। उनके द्वारा प्रदत्त जिनशासन में श्रावक-श्राविका, साधु-साध्वी रूप चार तीर्थं साधना कर रहे। हमारे आराध्य एकमात्र वीतराग है। साध्वीश्री जी ने आगे कहा कि धनतेरस का दिन-बाह्य वैभव प्राप्त करने के साथ आत्मिक संपदा बढ़ाने की प्रेरणा देता है। अपने विवेक, पुरुषार्थ और पराक्रम से अतीत को, जीवन-पथ को सुंदर बनाएँ। अध्यात्म शक्ति को उद्घाटित करें। यही भावना महावीर का शाश्वत संदेश है। दीपावली का त्योहार प्रकाश की साधना की प्रेरणा देता है। भीतर का प्रकाश कर्मों की कालिमा को दूर करता है।
साध्वी डाॅ0 मंगलप्रज्ञा जी की प्रेरणा से त्रिदिवसीय जप-अनुष्ठान का समायोजन किया गया। तेरापंथ किशोर मंडल द्वारा लगाया गया ‘दीपावली त्याग लाॅटरी स्टाॅल’ का श्रावक समाज ने आनंद लिया। किशोर मंडल ने ‘त्याग का ऊध्र्वारोहण’ गेम भी आयोजित किया। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष बाबूलाल बैद ने कहा कि भाग्यवान का यह चातुर्मास अनेक उपलब्धियों भरा रहा है। संपूर्ण श्रावक समाज का उत्साह सदैव बढ़ता रहा है। अनेक भाई-बहनों ने तेले तप की आराधना की। साध्वीवृंद ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। इस अवसर पर संवत्सरी महापर्व के दिन उपवास एवं पौषध करने वाले तीन वर्ष से लेकर आठ वर्ष तक के बच्चों का सम्मान किया गया।
साध्वी राजुलप्रभा जी ने कहा कि भगवान महावीर ने हमेशा जागरण की प्रेरणा दी है। पौरुष सर्वज्ञता प्राप्त करने वाले भगवान महावीर हमारे लिए आदर्श हैं। जरूरत है हम उनके द्वारा प्रदत्त अमूल्य जीवन-सूत्रों को अपनाकर सर्वगुण संपन्न बनें। साध्वीवृंद ने गीत का सामुहिक संगान किया। इस अवसर पर साध्वी मंगलप्रज्ञा जी ने जैन प्रभावक मंत्रों के साथ वृहद मंगलपाठ का श्रवण करवाया। लगभग 900 से अधिक श्रावक-श्राविकाओं ने संभागी बनकर आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त की।