जीवनशैली को सरस बनाने के लिए संयम जरूरी
गंगाशहर।
जीवनशैली को सरस बनाने के लिए संयम जरूरी है। संयम स्वस्थ जीवन के लिए संजीवनी बूटी है। जहाँ संयम है, वहाँ इंसानियत के दर्शन होते हैं। संयम को मुक्ति का सच्चा पथ बतलाया गया है। संयम के साथ विवेक जुड़ जाता है तो व्यक्ति जीवन में शांति का अवतरण हो जाता है। संयम की साधना से परम विशुद्ध लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। यह विचार मुनि चैतन्य कुमार जी ‘अमन’ ने ओसवाल पंचायत भवन में आयोजित विशेष कार्यक्रम में संयम जीवन की उपयोगिता पर व्यक्त किए।
मुनिश्री ने कहा कि जीवन को कलात्मक, सुंदरतम, शक्तिशाली व सफलतम बनाने के लिए संयम सर्वश्रेष्ठ है। धर्म की, संयम की आराधना सर्वहिताय, सर्वसुखाय होती है। अतः संयम की साधना करें, क्योंकि शुद्ध साधना से ही शुद्ध लक्ष्य की प्राप्ति संभव है। रामलाल सेठिया जीवन के उत्तरार्द्ध में संयम साधना को जीवन में अग्रसर करते हुए एकांत साधना का लक्ष्य बनाकर श्रेष्ठ कार्य कर रहे हैं।
इस अवसर पर बरड़िया परिवार की बहनों ने सामूहिक गीत का संगान किया। पर्यावरण राष्ट्रीय संयोजिका डाॅक्टर नीलम जैन ने विचार व्यक्त किए। तेममं भीनासर की अध्यक्षा मोनिका सेठिया, तेरापंथी महासभा, कोलकाता से उपाध्यक्ष विजय चोपड़ा, तेममं, कन्या मंडल प्रभारी हीरा नौलखा, इंदरचंद सेठिया, रामलाल सेठिया ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन सुरभि नाहटा ने किया।