आचार्यश्री तुलसी के 110वें जन्मोत्सव के आयोजन
तिरुपुर
साध्वी डाॅ0 गवेषणाश्री एवं साध्वी प्रिय कृतांजनाश्री जी के सान्निध्य में अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री तुलसी का 110वाँ जन्म दिवस अणुव्रत दिवस के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत नमस्कार महामंत्र के साथ हुई। साध्वी डाॅ0 गवेषणाश्री जी ने अणुव्रत के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए अणुव्रती बनने की प्रेरणा दी। साध्वीश्री जी ने आचार्यश्री तुलसी के बारे में कहा कि आचार्य तुलसी को शब्दों में बाँधना बहुत मुश्किल है। तुलसी का भारतीय संस्कृति में बहुत बड़ा योगदान है। साध्वी प्रिय कृतांजनाश्री जी ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी के केवल भारत में ही नहीं अपितु विश्व में भी जैन धर्म को फैलाया है। जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय, लाडनूं से सभी संप्रदाय के साधु-साध्वियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने का सहयोग मिला है, वह अतुलनीय है। आचार्यश्री तुलसी के अवदानों को भुलाया नहीं जा सकता।
साध्वी मेरुप्रभा जी ने गीतिका प्रस्तुत की। साध्वी मयंकपभा जी ने कहा कि विश्व में तीन प्रकार के व्यक्ति पाए जाते हैं-आत्मदृष्टा, युगदृष्टा, भविष्यदृष्टा। आचार्यश्री तुलसी के जीवन-दर्शन को पढ़ते हैं तो लगता है आचार्यश्री तुलसी के अंतर्गत ये तीनों ही आते हैं। साध्वी दक्षप्रभा जी ने सुमधुर गीतिका का संगान किया। महिला मंडल ने मंगलाचरण किया। सभा अध्यक्ष अनिल आंचलिया ने सभी का स्वागत किया। महिला मंडल अध्यक्षा नीतू सिंघवी, सोहनलाल जैन, प्रिया कर्णावट, शैलेंद्र जैन ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। महिला मंडल की अध्यक्षा व पूर्व अध्यक्षाओं के द्वारा साध्वी प्रिय कृतांजनाश्री जी को साहित्य भेंट किया गया। आभार ज्ञापन सभा के मंत्री मनोज भंसाली ने किया। कार्यक्रम का संचालन महिला मंडल मंत्री प्रीति भंडारी ने किया।