ज्ञान और ज्ञानदाता के प्रति हो विनम्रता का भाव: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

ज्ञान और ज्ञानदाता के प्रति हो विनम्रता का भाव: आचार्यश्री महाश्रमण

करुणासागर की प्रेरणा से मुस्लिम भाई-बहनों ने किया मांसाहार त्याग का संकल्प

सांताक्रुज, 10 दिसंबर, 2023
तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि चतुरंग मोक्ष मार्ग है-ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप। चारित्र का बहुत महत्त्व है। चारित्र के बिना मोक्ष नहीं मिलता। पर सम्यक्त्व विहीन चारित्र नहीं हो सकता। सम्यक्त्व तो चारित्रविहीन हो सकता है। चारित्र की साधना के लिए सम्यक्त्व आवश्यक है, सम्यक् ज्ञान भी अपेक्षित है। अध्यात्म जगत में सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन रहना चाहिए। दुनिया में ज्ञान की अनेक व्यवस्थाएँ हैं, अनेक शिक्षण संस्थान हैं। धर्म के क्षेत्र में भी ज्ञान का महत्त्व है। सदा स्वाध्याय में रहो। स्वाध्याय से ज्ञान निर्मल रहता है। अध्यात्म विद्या का ज्ञान करना चाहिए।
ज्ञान प्राप्ति के अनेक ग्रंथ हैं। ज्ञान प्राप्त करने के लिए समय, परिश्रम और भीतर में लगन हो तो प्रतिभावान व्यक्ति आगे बढ़ सकता है। ज्ञान एक आलोक है। जिसमें आत्म-साधना का पथ आलोकित हो सकता है। ज्ञान से एकाग्रता बढ़ सकती है, साधना ऊध्र्वारोहण कर सकती है। चित्त की चंचलता कम हो सकती है। ज्ञान प्राप्त करके हम स्वयं को धर्म के मार्ग में स्थापित कर सकते हैं। दूसरों को भी धर्म के मार्ग में स्थापित कर सकते हैं। ज्ञान और चरित्र दोनों का महत्त्व है। एक के बिना दूसरा अधूरा है। संवर-निर्जरा आदि धर्म-अध्यात्म विद्या के विषय हैं। ज्ञान प्राप्त करने वाला पात्र भी अनुकूल हो। ज्ञानशाला भी अध्यात्म विद्या का माध्यम है। ज्ञान और ज्ञानदाता के प्रति विनम्रता हो। स्वास्थ्य भी अनुकूल रहे।
हमारे धर्मसंघ में अनेक चारित्रात्माएँ व गृहस्थ जैन धर्म के अच्छे जानकार हैं। विद्या और आचार से मोक्ष मिलता है। गृहस्थों में अध्यात्म विद्या का ज्ञान बढ़े। ज्ञान बढ़ने से चारित्र निर्मल बन सकता है। साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी ने कहा कि हमारा जीवन बड़ा सुंदर है इसकी उपयोगिता को बनाए रखने के लिए इंद्रिय-संयम रूपी बाड़ की अपेक्षा है। इससे आत्मा की सुरक्षा हो सकती है। इंद्रिय सुख क्षणिक होता है। जीवन का सार संयम में है।
तेयुप, तेरापंथ किशोर मंडल एवं तेरापंथ कन्या मंडल ने अपनी प्रस्तुति दी। तेयुप सांताक्रुज अध्यक्ष महेश परमार ने अपनी अभिव्यक्ति दी। संजय गुलेचा ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। मुस्लिम समाज के अनेक भाई-बहन पूज्यप्रवर की सन्निधि में पहुँचे और आजीवन मांसाहार त्याग का संकल्प लिया। आचार्यश्री ने टीपीएफ द्वारा आयोजित मेडिकल कैंप के संदर्भ में संबंधित लोगों को मंगलपाठ सुनाया। महराष्ट्र नवनिर्माण सेना राज ठाकरे की धर्मपत्नी शर्मिला ठाकरे ने पूज्यप्रवर के दर्शन किए और अपनी भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।