आचार्यश्री तुलसी का 110वाँ जन्म दिवस समारोह का आयोजन
शाहदरा, दिल्ली।
साध्वी अणिमाश्री जी के सान्निध्य में ओसवाल भवन में आचार्यश्री तुलसी का 110वाँ जन्म दिवस अणुव्रत दिवस के रूप में मनाया गया। साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि आज से 110 वर्ष पूर्व एक तेजस्वी बालक का जन्म हुआ, जिसने तेरापंथ के आचार्य एवं कुशल प्रशासक के रूप में ख्याति पाई। जिनके शासनकाल में नई क्रांति घटित हुई। विकास के नए आयाम उद्घाटित हुए, नए मूल्यमांनक स्थापित हुए, नए युग का प्रवर्तन हुआ। उनका जन्म इस धरती पर मानवता के मसीहा के अवतरण के रूप में हुआ। ऐसे महापुरुष को पाकर यह धरती धन्य हो गई। आचार्य तुलसी ने न केवल तेरापंथ बल्कि जिनशासन को गौरवान्वित किया। समण श्रेणी के रूप में नए तीर्थ का प्रवर्तन किया।
साध्वीवृंद ने गीत का संगान किया। साध्वी समत्वयशा जी ने मंच संचालन करते हुए कहा कि पौरुष व पराक्रम के पर्याय का नाम है-आचार्यश्री तुलसी। नवीनता व प्राचीनता के संगम का नाम है-आचार्यश्री तुलसी। 20वीं सदी के शिखर पुरुष का नाम है-आचार्यश्री तुलसी। साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी पावरफुल थे, पीसफुल थे एवं पोजिटिव थे। इसलिए उन्होंने स्वयं का एवं संघ का विकास किया।
अणुवविभा के चीफ ट्रस्टी तेजकरण सुराणा, सभाध्यक्ष पन्नालाल बैद, सभा के निवर्तमान अध्यक्ष व ओसवाल समाज के महामंत्री राजेंद्र सिंघी, अणुव्रत समिति ट्रस्ट, दिल्ली के संगठन मंत्री राजीव महनोत, अणुव्रत समिति, गाजियाबाद के अध्यक्ष कुसुम सुराणा, दिल्ली ज्ञानशाला संयोजक अशोक बैद, पूर्वी दिल्ली महिला मंडल से प्रमिला डागा, टीपीएफ से हरीश आंचलिया, ओसवाल समाज के अध्यक्ष आनंद बुच्चा, शुभकरण कोठारी, सरला बैद ने अपने भावों से गुरुदेव की अभ्यर्थना की। मधुर संगायक संजय भटेवरा ने सरस एवं भावपूर्ण गीत का संगान करके पूरी परिषद को तुलसीमय बना दिया। सभा के मंत्री सुरेश सेठिया ने आभार ज्ञापन किया।