जीवन में सफलता की कुँजी है अनुशासन
चंडीगढ़।
जीवन में अनुशासन का एक अलग ही महत्त्व है। यह आदर्श जीवनशैली है, जिससे हर कार्य आसानी से संपन्न हो जाते हैं। अनुशासन के बिना मानव जीवन पशु तुल्य है। अनुशासन हमें देशभक्ति का पाठ पढ़ाता है। इससे हमारे व्यक्तित्व में निखार आता है और अनुशासित व्यक्ति ही समाज को एक नई दशा व दिशा प्रदान कर सकता है। जीवन में जो व्यक्ति अनुशासन में रहता है, समझो उसने जीवन को सही ढंग से निर्वाह करना सीख लिया है। यह शब्द मनीषी संत मुनि विनयकुमार जी ‘आलोक’ ने सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनिश्री ने आगे कहा कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जो समाज में रहता है और समाज में रहने के लिए अनुशासन का होना बहुत ही आवश्यक है। मुनिश्री ने कहा कि अनुशासन हमारे जीवन में सफलता की सीढ़ी है, जिस पर चढ़कर या उसके सहारे हम किसी भी मंजिल को अपने जीवन में हासिल कर सकते हैं। विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का बहुत महत्त्व है, क्योंकि यह वह पड़ाव है, जहाँ वह जीवन में सब कुछ सीखते हैं। अनुशासन के बिना मनुष्य का जीवन आधा-अधूरा है, जीवन में सफलता की कुँजी अनुशासन है। अनुशासन के आधार पर हमारे जीवन का भविष्य तय होता है। अनुशासन की राह पर चलना थोड़ा मुश्किल होता है, परंतु इस राह पर चलने के बाद मिलने वाला फल बहुत ही स्वादिष्ट और मीठा होता है। अनुशासन वह डोर है, जो हमें आकाश की बुलंदियों को छूने के लिए मदद करती है।