अपनी आत्मा को जीतने की हो साधना : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

अपनी आत्मा को जीतने की हो साधना : आचार्यश्री महाश्रमण

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे ने किए पूज्यप्रवर के दर्शन

कुर्ला वेस्ट, 25 दिसंबर, 2023
कुर्ला वेस्ट प्रवास के दूसरे दिन शांतिदूत महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमण जी ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि जय और पराजय दुनिया में यदा-कदा हो जाती है। चुनाव, न्यायालय या खेल में यह चलती है। अध्यात्म जगत में भी एक बात बताई गई है कि युद्ध होता है तब कोई जीत जाता है, कोई हार जाता है। समरांगण में जो शत्रु के दस लाख योद्धाओं को जीत लेता है, वह बड़ी जीत है, पर परम जीत नहीं है। एक आदमी दस लाख योद्धाओं को न जीतकर अपनी आत्मा को जीतता है। शास्त्रकार का कथन है कि यह उसकी परम विजय है। आत्मा को जीतना है, तो प्रश्न होता है कि आत्मा दीखती है क्या? जो दिखाई न दे उसे कैसे जीतकर परास्त किया जाए।
आत्मा तो नहीं दिखाई देती पर शरीर, वाणी और मन का तो हमें अनुभव होता है। पाँच इंद्रियाँ भी हमारे सामने हैं। अगर हम शरीर, वाणी और मन को जीत लें, इंद्रियों को वश में कर लें तो इन चारों को जीतने का निष्कर्ष आएगाµआत्मा को जीत लेना। जो साधना के द्वारा अपने को साधकर सिद्ध साधक सा बन जाता है। वीतराग और क्षीण मोह बन जाता है, वह आत्म विजेता व्यक्ति बन जाता है, यह मोक्ष का मार्ग है। एक मोह का मार्ग है, तो दूसरा मोक्ष का मार्ग है। मोह का मार्ग लेने वाला मोक्ष मार्ग से दूर हो जाता है। मोह है तो मोक्ष नहीं, मोक्ष है तो मोह नहीं। अपने आपको जीतना अध्यात्म युद्ध की बात हो जाती है।
साधु का जीवन तो साधनामय होना ही चाहिए। गृहस्थावस्था में जितना आत्म-विजय की ओर आगे बढ़ा जा सके उतना प्रयास होना चाहिए। गृहस्थ जीवन में भी साधु जैसा जीवन हो। 50 वर्ष उम्र आने के बाद रोज एक सामायिक करने का प्रयास करना चाहिए। धीरे-धीरे और साधना का प्रयास करें, कषाय-मुक्त रहने का प्रयास करें। बारह व्रत अच्छी साधना है, सुमंगल साधना और उत्कृष्ट साधना है। परिग्रह का सीमाकरण करें और जीवन में सादगी को स्थान दें।
वर्तमान में मनुष्य जन्म प्राप्त है, इसका साधना में उपयोग हो। आसक्ति ज्यादा न रहे। अपद रहकर निरवद्य सेवा करें। उम्र बढ़ने के साथ जीवन में निवृत्ति रहें। परिवार वाले भी धार्मिक सहयोग देने का प्रयास करें। परिणाम शुद्ध रहे। निरवद्य योगों में रहकर स्वाध्याय अधिक करें। आत्मा के आसपास रहने का प्रयास करें। हम आत्मा को जीतने की साधना करें।
बहिर्विहारी अनेक साध्वियों ने पूज्यप्रवर के दर्शन किए। साध्वी उज्ज्वलप्रभा जी, सहयोगी साध्वियों ने गीत से, साध्वी पावनप्रभा जी, साध्वी पुण्ययशा जी एवं सहवर्ती साध्वियों ने गीत से पूज्यप्रवर की अभिवंदना में अपनी भावना अभिव्यक्त की। पूज्यप्रवर की अभिवंदना में भावना डागलिया, तेयुप अध्यक्ष जीतू कोठारी, विदिशा डागलिया, दिनेश सुतरिया ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। सर्वम पटेल ने Sand ART की प्रस्तुति दी। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पूज्यप्रवर के दर्शन कर अपनी भावाभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।