न्याय से उपार्जित धन होता है निर्मल : आचार्यश्री महाश्रमण
कालबादेवी क्षेत्र के व्यापारिक समूहों ने प्राप्त किया ईमानदारी का पाथेय
कालबादेवी, 20 दिसंबर, 2023
जिनशासन प्रभावक आचार्यश्री महाश्रमण जी ने कालबादेवी में मंगल देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारे जीवन में शांति का बड़ा महत्त्व है। चित्त में शांति रहे। दो चीजें हैं, सुविधा और शांति। सुविधा बाह्य-भौतिक रूप में अनुकूलता होती है, जिसका संबंध शरीर के साथ है। शांति का संबंध मन के साथ है। कई बार बाहर से अनेक सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं, पर आदमी के मन में अशांति रहती है। अशांति भी अनेक संदर्भों में हो सकती है। मन में जो सहज सुख है या निमित्तों से प्राप्त है, वह शांति है। बाह्य संसाधनों से प्राप्त शांति अस्थायी है। राग-द्वेष की मुक्ति और समता भाव से भीतर में जो शांति निखरती है, वह शांति सही शांति हो सकती है। भीतरी शांति के कुछ बाधक तत्त्व भी हैं। ज्यादा गुस्सा आने से भय लगने से, मन में चिंता होने से, लोभ की भावना से, इच्छित वस्तु न मिलने से भीतरी अशांति हो सकती है। ये सब न हो तो आदमी भीतरी शांति में रह सकता है।
व्यापार करने से जनता की आवश्यक सामग्री की पूर्ति और आर्थिक उपार्जन हो सकता है। दोनों का परस्पर विनिमय होता है। व्यापारी और ग्राहक संबंध है, दोनों के मन में नैतिकता रहे। एक-दूसरे का शोषण न हो। दो शब्द हैंµअर्थ और अर्थाभास। न्याय से उपार्जित पैसा अर्थ है। अनैतिकता से जो अर्थ संग्रहित होता है, वह अर्थाभास है। नैतिकता का मनोभाव बना रहे। लालच-ठगी से व्यापार में अशुद्धि आ सकती है। सामायिक, माला, जप-तप धर्म है। अणुव्रत से आचरणों में धर्म आता है। नैतिकता, ईमानदारी अणुव्रत के ही अंग हैं। संयम का संकल्प हो तो सीमित संसाधनों से भी काम चल सकता है। जैन शास्त्रों में दिव्य आत्माएँ देव-देवियाँ भी हैं। सांसारिक रीति-रिवाज में पूजा होती है। पर शास्त्रों में कहा गया है कि जिसके मन में धर्म होता है, उनको देवता भी नमस्कार करते हैं।
दुकानदारी में ईमानदारी-ईमानदार दुकानदार रहे। जहाँ ईमानदारी रहती है, वहाँ लक्ष्मी का वास रहता है। लक्ष्मी जाए तो जाए पर सत्य देवता को न जाने दें। सच्चाई पैसे से भी ऊँची चीज है। व्यापार में ईमानदारी से निर्मलता रह सकती है। पूज्यप्रवर की अभिवंदना में अनेक व्यापारियों ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। पुलिस कमीशनर (एडिशनल) डॉ0 अभिनव देशमुख, पृथ्वीराज कोठारी (प्रेसीडेंट इंडिया बुलीयन ऐसोसिएशन), लायंस क्लब से प्रदीप कापड़िया, किशोर मंडल, कन्या मंडल ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।