कषाय, लोभ एवं अहंकार से हो युद्ध : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

कषाय, लोभ एवं अहंकार से हो युद्ध : आचार्यश्री महाश्रमण

कुर्ला वेस्ट, 24 दिसंबर, 2023
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी आज विहार कर कुर्ला पधारे। मंगल देशना प्रदान करते हुए पूज्यप्रवर ने फरमाया कि आत्मा व आदमी को सुख कैसे प्राप्त हो सकता है, यह एक अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न है। सभी प्राणी सुखी रहना चाहते हैं। शास्त्रकार ने इस संदर्भ में युद्ध की बात बताई है कि युद्ध करो। दुनिया में कई देशों में युद्ध-संघर्ष होता रहता है। ये बाह्य युद्ध है। शास्त्रों में आत्म युद्ध की बात की गई है कि अपनी आत्मा के साथ ही युद्ध करो। अपने आपसे लड़ो। लड़कर विजय प्राप्त करो। अपने से अपने को जीतकर आदमी विजय हासिल कर लेता है। इससे सुख, शांति और भीतरी आनंद की प्राप्ति हो सकती है। एक घर का युद्ध हो जाता है, पर आत्मयुद्ध धर्मयुद्ध है।
जैन वाङ्मय में आठ आत्माएँ बताई गई हैं। अशुभ योग को जीतने का प्रयास शुभ योग आत्मा, चारित्र आत्मा, सम्यक् ज्ञान, चारित्र से युक्त आत्मा, कषाय, लोभ, अहंकार से युद्ध कर विजय प्राप्त कर सकते हैं। कषाय, मिथ्या दर्शन व शुभ योग को जीतने का प्रयास होना चाहिए। यह आत्मा के साथ आत्मा का युद्ध धर्म युद्ध कहलाता है। आठ कर्म बताए गए हैं, हमें मोहनीय कर्म के उदय को क्षीण करना है। घाती कर्म रूपी शत्रुओं का नाश करना है। इस धर्म युद्ध में क्षमा, शांति और संयम हो। यह अध्यात्म जगत का युद्ध है। गुस्से को उपशम के द्वारा, मार्दव के द्वारा अहंकार को, माया को, लोभ को आर्जव के द्वारा, संतोष के द्वारा क्षीण करने का प्रयास करें। ये विकृति रूप में हैं, इनको जीतने का प्रयास करें। हमारे तीर्थंकरों ने मानो युद्ध किया था। भगवान महावीर का तो लगभग साढ़े बारह वर्षों तक आत्मयुद्ध चलता रहा। ऐसे महापुरुष के हम अनुयायी हैं। हमें अध्यात्म का मार्ग मिला है। जैन-अजैन कोई हो उसने कषाय का नाश कर दिया उसे केवलज्ञान-मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। बड़ा-छोटा कोई हो कषाय मुक्ति ही बड़ी मुक्ति है।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि पूज्यप्रवर ने जब से संन्यास लिया है, तब से पद-यात्रा कर रहे हैं। ये बाह्य जगत की यात्रा है। आचार्यप्रवर बाह्य जगत की यात्रा के साथ अंतर्जगत की यात्रा भी करते हैं। आचार्यप्रवर ने साधना के द्वारा अपनी शक्ति को जागृत किया है। साधना से शक्ति को जागृत करने वाला कभी परास्त नहीं हो सकता। पूज्यप्रवर के स्वागत में स्थानीय सभाध्यक्ष कांतिलाल कोठारी, सतीश मेहता ने अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ समाज, कुर्ला द्वारा अभिनंदन गीत से अपनी भावना अभिव्यक्त की गई। ज्ञानशाला ज्ञानार्थियों द्वारा महाश्रमण जीवन झाँकी प्रस्तुत की गई। ज्ञानार्थियों ने ग्यारह संकल्प की शंृखला पूज्यप्रवर को अर्पित की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।