राग, द्वेष और स्नेह की तीव्रता हो कम : आचार्यश्री महाश्रमण
चेम्बूर, 31 दिसंबर, 2023
31 दिसंबर, 2023 कैलेंडर वर्ष का अंतिम दिन। कल का सूर्य नए वर्ष के साथ, नई ऊर्जा लेकर उदय होने वाला है। हम आज रात्रि में चिंतन करें कि इस वर्ष 2023 में हमने अध्यात्म साधना करने में प्रमाद किया। अगले वर्ष में उस प्रमाद को कम करने या पूर्णतया खत्म करने का प्रयास होगा, ऐसा संकल्प नए वर्ष के प्रारंभ में करने का प्रयास करें। आध्यात्मिक ऊर्जा के महास्रोत आचार्य श्री महाश्रमण जी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि तीव्र राग-द्वेष और स्नेहµये भयंकर पाश हैं। इनको छिन्न करने का प्रयास होना चाहिए। एक संत की यह वाणी दिशा निर्देश देने वाली है। तीव्र राग-द्वेष व स्नेह भय पैदा कर सकते हैं।
समता की स्थिति उत्तम स्थिति होती है। जितना-जितना आदमी समता से दूर हो जाता है तो उसका मतलब है अपने घर से दूर हो जाना। अपने घर में एक आश्वासन रह सकता है समता अपना घर है, इसमें शांति से हम रह सकते हैं। पराए घर में वह शांति न भी मिले जो समता के घर में मिल सकती है। हमारी चेतना में अनंत काल से राग-द्वेष के संस्कार हैं। अनंत जन्म-मरण इस राग-द्वेष की वृत्ति के साथ आत्मा ने कर लिए हैं। तीव्र कषाय और राग-द्वेष के परिणाम रहते हैं तो आगे से आगे जन्म-मरण की भूमिका निर्मित होती रहती है। साधुत्व आ जाना तो बहुत बड़ी बात है। भावों में बिना दीक्षा लिए साधुपन आना और ऊँची बात हो जाती है।
जहाँ तीव्र मोह राग होता है, वह दुःख का कारण है। अनासक्त भाव रहे। गीली मिट्टी दिवाल के चिपक जाती है। सूखी मिट्टी दिवाल से टकराकर गिर जाती है। कमल है, जल में रहकर भी अलिप्त रहता है। इसी प्रकार गृहस्थ भी संसार-परिवार में रहते हुए भी अनासक्ति से रहने का प्रयास करें। हमारा शरीर एक पिंजरा है। हमारी आत्मा पिंजरा मुक्त हो, परम सुख सिद्धावस्था को प्राप्त हो जाए। उम्र बढ़ने के साथ आध्यात्मिक साधना से गृहस्थ जुड़ने का प्रयास करें। आत्मा को भावित करने में सामायिक का सहयोग हो सकता है। सपरिवार शनिवार की सामायिक हो। जीवन में धर्म को भूलें नहीं। साधना की प्रधानता रहे। 75 वर्ष आने के बाद तो साधुपन जैसा जीवन जीने का प्रयास हो। जीवन में मोड़ लेने का प्रयास करें। आत्मकल्याण की दृष्टि से यह अच्छी बात हो सकती है। संस्था शिरोमणी जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा अध्यक्ष मनसुख सेठिया ने अपनी अभिव्यक्ति दी। बैंगलोर ज्ञानशाला ज्ञानार्थी दीक्षांत ललवानी एवं ऋद्धि बोहरा ने अपनी अभिव्यक्ति दी। बैंगलोर ज्ञानशाला ज्ञानार्थियों ने समूह प्रस्तुति भी दी। व्यवस्था समिति महामंत्री महेश बाफना ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।