हमारी प्रीति परम की ओर हो जाए: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

हमारी प्रीति परम की ओर हो जाए: आचार्यश्री महाश्रमण

चेम्बूर, 29 दिसंबर, 2023
चेम्बूर के पंच दिवसीय प्रवास के दूसरे दिन तेरापंथ के महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमण जी ने एक प्रसंग से समझाया कि निरपराधी पकड़े जाते हैं और अपराध करने वाला छूट जाता है। जान-बूझकर निरपराधी को दंडित करना पाप है। ऐसा न्याय करने वाला पापी कहलाता है। न्यायाधीश भी किसी से डरकर निरपराधी को दंडित न करे। लोभ करने से लालच बढ़ जाता है। चिंतन की दिशा बदलती है, तो व्यक्ति का लोभ अलोभ में बदल जाता है। वह साधना की भूमिका में आरोहण कर लेता है। आंतरिक सुख प्राप्त हो जाने पर व्यक्ति संतोष में चला जाता है। दिशा और दशा बदल जाती है। आदमी दौड़कर अपनी छाया को नहीं पकड़ सकता है। छाया को पकड़ने के लिए दृष्टिकोण बदलना पड़ता है।
शास्त्र में कहा गया हैµजैसे-जैसे लाभ होता है, वैसे-वैसे लोभ बढ़ता है। पदार्थों के प्रति जो आकर्षण है, वो भावना अध्यात्म की ओर आ जाए तो दिशा और दशा बदल सकती है। मेरी प्रीति जो विषयों में है, भगवान्! मैं आपका स्मरण करूँ और वह मेरी प्रीति विषयों से दूर हो जाए। मेरा प्रेम आत्मा से, अध्यात्म-धर्म से हो जाए और मैं आंतरिक सुख को प्राप्त करूँ। अविवेकी की प्रीति पदार्थों में रहती है। मैं अविवेकी न रहूँ। हमारी प्रीति परम की ओर हो जाए तो यह कल्याण का मार्ग हो जाता है। मुनि जागृत कुमार जी एवं मुनि अभिजीत कुमार जी ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। पूज्यप्रवर के स्वागत में स्थानीय सभाध्यक्ष जुगराज बोहरा, ट्रस्ट अध्यक्ष मूलचंद लोढ़ा, तेयुप अध्यक्ष विनीत पटावरी, अणुव्रत समिति, स्थानीय नगर सेवक अनिल पाटणकर, मुंबई चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति अध्यक्ष मदनलाल तातेड़ ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। पूज्यप्रवर ने कन्या मंडल को धारणा अनुसार संकल्प करवाए। पूज्यप्रवर ने किशोर मंडल के सदस्यों को नशामुक्ति विशेषकर ड्रग्स व ड्रिंकिंग के प्रत्याख्यान करवाए। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।