त्रिदिवसीय संस्कार निर्माण शिविर का समापन समारोह
गंगाशहर।
मुनि श्रेयांस कुमार जी ने नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम की शुरुआत की। शिविर निर्देशक मुनि चैतन्यकुमार जी ‘अमन’ ने कहा कि किशोर अवस्था से जवानी तक बच्चों के बिगड़ने का समय होता है। जिन बालकों को इस अवस्था के दौरान अच्छे संस्कारों का योग मिल जाता है, वे संस्कारी बालक बन जाते हैं। मुनिश्री ने आगे कहा कि जिस देश में धर्म की गंगा बहती है, ऋषि, महर्षि रहते हैं। उस समाज और राष्ट्र में संस्कारों की पौध पल्लवित और पुष्पित होती है। मुनि श्रेयांस कुमार जी ने अपने गीत के साथ बालक-बालिकाओं को प्रेरणा प्रदान की व एक कहानी के माध्यम से बच्चों को नैतिक और ईमानदारी का जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान की।
कार्यक्रम का आगाज ज्ञानशाला के बच्चों ने सामूहिक संगान के अंतर्गत पार्श्वनाथ स्तुति, संघगान एवं ज्ञानशाला गीत से किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सभा अध्यक्ष अमरचंद सोनी ने की। ज्ञानशाला की मुख्य प्रशिक्षिका प्रेम बोथरा, तेरापंथ सभा के मंत्री रतन छलाणी ने विचार व्यक्त किए। तीनों दिनों के शिविर में अनेक प्रशिक्षिकाओं ने बालक-बालिकाओं को जैन ज्ञान का प्रशिक्षण दिया। इस शिविर के दौरान 131 ज्ञानार्थियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन तेयुप कार्यकारिणी सदय देवेंद्र डागा ने किया। ज्ञानशाला सह-प्रभारी रजनीश गोलछा ने बताया कि सभी व्यवस्थाओं में ज्ञानशाला संयोजिका सुनीता पुगलिया, प्रभारी चैतन्य रांका, मीडिया प्रभारी संदीप रांका, तेयुप कार्यकारिणी सदस्य विपिन बोथरा व अन्य तेयुप सदस्यों, किशोर मंडल से नीरज बोथरा, निहाल डागा, पीयूष डागा सहित अन्य यवा उपस्थित थे।