प्रभु पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक दिवस के आयोजन
गंगाशहर
तेरापंथ भवन में भगवान पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुनि चैतन्य कुमार जी ‘अमन’ ने कहा कि तीर्थंकर परंपरा में भगवान पार्श्वनाथ अलौकिक महापुरुष थे। उनको चिंतामणि कल्पवृक्ष कामधेनु और पुरुषादानीय के रूप में मान्यता प्राप्त है। तीर्थंकर परंपरा में सर्वाधिक मंत्र स्तोत्र, स्तुति भगवान पार्श्वनाथ पर लिखित मिलते हैं। भगवान पार्श्वनाथ चातुर्याम धर्म के प्रयोक्ता थे। उन्होंने गृह जीवन में रहते हुए अनेक जीवों को सुलभ बोधि बनाकर भव से पार किया। मुनिश्री ने आगे कहा कि ऐसा कोई अक्षर नहीं, जो मंत्र ना बन सके। ऐसी कोई जड़ी नहीं जो औषध के रूप में काम न आए और ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसका उपयोग नहीं हो। आवश्यकता नियोजन करने वालों की है। मुनि श्रेयांस कुमार जी ने भगवान पार्श्व की स्तुति में रचित एक मधुर गीत का संगान किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुनि चैतन्य कुमार जी ‘अमन’ ने भगवान पार्श्व से संबंधित विविध मंत्रों का सामूहिक रूप से जप करवाया। चैनरूप छाजेड़ ने गीत की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर भाई-बहनों ने उपवास, आयंबिल, एकासन तप एवं रात्रि भोजन न करने का संकल्प किया।