दीक्षा का मार्ग कर्म मुक्ति एवं मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है

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दीक्षा का मार्ग कर्म मुक्ति एवं मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है

उधना।
अडसीपुरा ग्राम निवासी एवं पांडेसरा, उधना प्रवासी प्रकाश चिप्पड़ के सुपुत्र दीक्षार्थी मुकेश कुमार 31 जनवरी, 2024 को मुंबई में महातपस्वी युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी के करकमलों द्वारा जैन भगवती दीक्षा अंगीकार करने जा रहे हैं। इस सदर्भ में शासनश्री साध्वी मधुबाला जी के सान्निध्य में दीक्षार्थी का मंगलभावना समारोह तेरापंथ भवन, उधना में आयोजित किया गया। इससे पूर्व पांडेसरा तेरापंथ जैन समाज एवं तेरापंथ सभा, उधना के तत्त्वावधान में विशाल शोभायात्रा आयोजित हुई, जिसमें समाज की विभिन्न संस्थाओं के कार्यकर्ता एवं विशाल श्रावक समुदाय उपस्थित रहा। शोभायात्रा पांडेसरा से प्रारंभ होकर शुभ रेजिडेंसी हरी नगर आचार्य तुलसी सर्किल होते हुए तेरापंथ भवन, उधना पहुँची।
इस अवसर पर साध्वी मधुबाला जी ने कहा कि यह संसार दुःख बहुल संसार है। जन्म दुःख है, मृत्यु दुःख है, बुढ़ापे में भी दुःख होता है। रोग और बीमारी से आदमी ग्रस्त हो जाता है तब भी दुःख होता है। इस संसार में कदम-कदम पर दुःख है। फिर भी जब संसार छोड़कर संन्यास लेने की बात आती है तब लाखों में कोई एक तैयार होता है। संसार का मार्ग कर्म बंधन का मार्ग है, जबकि दीक्षा का मार्ग कर्म मुक्ति का मार्ग है। कर्म मुक्ति होते ही मोक्ष प्राप्ति का मार्ग सुलभ बन जाता है। दीक्षार्थी मुमुक्षु मुकेश का निर्णय अत्यंत समझदारी का निर्णय है, अपने निर्णय के लिए मुमुक्षु मुकेश अभिनंदन के पात्र हैं। लेकिन उसके साथ-साथ दीक्षा के लिए आज्ञा देने वाले उनकी माता सुशीलादेवी और पिता प्रकाश भी अभिनंदन के अधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि साधु जीवन की सफलता के पाँच सूत्र हैंµसहिष्णुता, सेवा,श्रम, विनय और प्रमोद भावना।
साध्वी विज्ञानश्री जी ने कहा कि जैन दीक्षा अंतर जगत की यात्रा का शुभारंभ है। आसक्ति से अनासक्ति की ओर जाने का मार्ग है। साध्वी सौभाग्यश्री जी ने कहा कि मुमुक्षु मुकेश कुमार ने संयम का पथ अपनाया है। संयम का पथ अपनाने वाला व्यक्ति स्वयं तो भवसागर तर ही जाता है, लेकिन दूसरों को भी तरने में सहयोगी बनता है। साध्वी मंजुलयशा जी ने कहा कि मनुष्य जीवन दुर्लभ है। उसे व्यर्थ में गँवाना नहीं चाहिए। दीक्षा तो मनुष्य जीवन का सार है, संयम द्वारा जीवन को सार्थक बनाने का मार्ग है। कोई अन्न दान करता है, कोई धन-दान करता है, कोई स्थान दान करता है, लेकिन पुत्र का दान करना बहुत मुश्किल है। सुश्रावक प्रकाश के चार पुत्रियाँ और एक ही पुत्र है। अपने इकलौते पुत्र को संघ में दान देकर श्रावक पिता प्रकाश और माता सुशीलादेवी ने जो समर्पण किया है वह अनुमोदनीय है। उनके जीवन से अन्य लोग भी प्रेरणा लें, यह अपेक्षित है।
दीक्षार्थी मुमुक्षु मुकेश कुमार ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जी द्वारा लिखित पुस्तक ‘संबोधि’ का अध्ययन-स्वाध्याय करते-करते मेरे जीवन में वैराग्य के अंकुर प्रस्फुटित हुए। मेरे वैराग्य को पुष्ट करने में मेरे माता-पिता, परिवारजन, भाई प्रवीण मेडतवाल आदि योगभूत बने हैं। मैं पूज्य गुरुदेव के प्रति कृतज्ञ हूँ, मुझे गुरुदेव के करकमलों द्वारा तेरापंथ धर्मसंघ में दीक्षित होने का अवसर प्राप्त हो रहा है। यह मेरा अहोभाग्य है। मैं जीवन की अंतिम सांस तक धर्मशासन की सेवा करता रहूँ, यही अभ्यर्थना है।
स्वागत वक्तव्य में तेरापंथी सभा, उधना के अध्यक्ष बसंतीलाल नाहर ने कहा कि उधना क्षेत्र से इससे पूर्व तीन दीक्षाएँ हो चुकी हैं। यह चौथा पुष्प धर्मशासन को अर्पित हो रहा है, जिसका हमें गर्व है। उधना भजन मंडली ने मंगलाचरण किया। तेममं द्वारा अनुमोदन आरती हुई। महिला मंडल अध्यक्ष सोनू बाफना, तेयुप अध्यक्ष हेमंत डांगी, सूरत सभा के मंत्री मुकेश बैद, महासभा सहमंत्री अनिल चंडालिया, अणुविभा गुजरात प्रभारी अर्जुन मेडतवाल, अभातेयुप से अर्पित नाहर, मुमुक्षु की बहनें, श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रमण संघ के मंत्री राजूभाई दाणी, सभा संरक्षक पारस बाफना, उपाध्यक्ष मुकेश बाबेल, परिवारजनों की ओर से विनोद डांगी, तूलिका डांगी आदि ने मंगलभावनाएँ प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में स्थानकवासी जैन समाज के पदाधिकारी एवं कार्यसमिति सदस्य विशाल संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथी सभा, उधना के सहमंत्री पुखराज हिरण ने किया। मोहन पोरवाड़ एवं सभा के पूर्व एवं वर्तमान पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं द्वारा दीक्षार्थी का सम्मान किया गया एवं अभिनंदन पत्र भेंट किया गया।