अणुव्रत के 75 वर्ष की संपन्नता पर हीरक जयंती का कार्यक्रम
गंगाशहर।
तेरापंथ धर्मसंघ के नवम अनुशास्ता आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया। अणुव्रत के 75 वर्ष की संपन्नता पर हीरक जयंती का कार्यक्रम अणुव्रत समिति के तत्त्वावधान में मुनि श्रेयांस कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में मनाया गया। नवकार महामंत्र के उच्चारण के साथ मुनिश्री ने गीत का संगान किया। इस अवसर पर मुनि चैतन्य कुमार जी ‘अमन’ ने कहा कि वटवृक्ष बहुत ही विशाल होता है, किंतु बीज का आकार बहुत ही छोटा होता है। उसी प्रकार अणुव्रत आचार संहिता के छोटे-छोटे नियम मानवता के कल्याण में महत्त्वपूर्ण है। राष्ट्र का नवनिर्माण राष्ट्र की बाल पीढ़ी पर निर्भर है। आवश्यकता है सुसंस्कारित भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि लालेश्वर महादेव मंदिर के अधिष्ठाता विमर्शानंद गिरी ने कहा कि मनुष्य योनी सर्वोत्तम है। हमें मानवता के कल्याण में अपना सर्वस्व योगदान करके जीवन को अणुव्रतों के साथ जीने का प्रयास करना चाहिए। महापौर सुशील कंवर राजपुरोहित ने कहा कि बच्चे इस देश का भविष्य हैं। अणुव्रत के छोटे-छोटे संकल्पों से इनके अच्छे भविष्य का निर्माण संभव है। समिति के संयोजक किशन बैद के अनुसार कार्यक्रम में विभिन्न संस्थाओं की ओर से जिसमें तुलसी शांति प्रतिष्ठान की ओर से अध्यक्ष हंसराज डागा, तेरापंथ सभा से मंत्री रतन छल्लाणी, तेरापंथ न्यास से जतन दुगड़, महासभा के सदस्य भैरुदान सेठिया, महिला मंडल अध्यक्षा संजू लालाणी, तेयुप अध्यक्ष अरुण नाहटा, धर्मेन्द्र डाकलिया ने विचार व्यक्त किए।
अणुव्रत समिति अध्यक्ष भंवरलाल सेठिया ने बताया कि गंगाशहर समिति की ओर से लगभग 122 स्कूलों, कॉलेजों तथा सार्वजनिक स्थानों पर अणुव्रत गीत गायन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। विभिन्न स्कूलों से लगभग 300 छात्र-छात्राओं ने कार्यक्रम में भाग लिया। विद्यालयों को स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया। अमरचंद सोनी, माणक सामसुखा, राजेंद्र नाहटा, नारायण गुलगुलिया, अनुपम सेठिया, शिखर सेठिया, शारदा डागा ने महानुभावों को दुपट्टा, स्मृति चिह्न व साहित्य प्रदान कर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन अणुव्रत समिति के मंत्री मनीष बाफना ने किया। आभार ज्ञापन प्रभारी गिरीराज खेरिवाल ने किया।