ज्ञान प्राप्त हो जाने पर भी उसका घमंड न करो: आचार्यश्री महाश्रमण
सी वुड, 9 फरवरी, 2024
ज्ञान, दर्शन और चारित्र प्रदाता आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः नेरूल के सी वुड क्षेत्र में पधारे। पूज्यप्रवर ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारे जीवन में ज्ञान का बहुत महत्त्व है। ज्ञान एक पवित्र तत्त्व है। ज्ञान प्राप्ति के लिए विद्यार्थी कहाँ-कहाँ चले जाते हैं और ज्ञान प्राप्ति का अभ्यास करते हैं। ज्ञान प्राप्ति में पाँच बाधक तत्त्व बताए गए हैं-अहंकार, क्रोध, प्रमाद, रोग और आलस्य। मन में ज्ञान और ज्ञान प्रदाता के प्रति सम्मान का भाव होता है, अहंकार का भाव नहीं होता है, तो ज्ञान प्राप्ति में बाधा नहीं रहती। ज्ञान प्राप्त हो जाने पर भी उसका घमंड न करें, उसको और बढ़ाने का और दूसरों को ज्ञान बाँटने का प्रयास करें।
ज्ञान होेने पर भी कम बोलना विशेष बात है। शक्ति होने पर भी सहिष्णुता, क्षमा रखना बड़ी बात है। त्याग या दान भी निष्काम भाव से हो। श्लाघा का प्रयास नहीं करना। गुस्सा, प्रमाद तथा विषयों में रचा-पचा रहना भी ज्ञान प्राप्ति में बाधा है। बीमारी और आलस्य भी ज्ञान प्राप्ति में बाधा है। आज माघ कृष्णा चतुर्दशी, अमावस्या है। आज का दिन हमारे धर्मसंघ के तीसरे आचार्य श्री रायचंदजी स्वामी का महाप्रयाण दिवस है। उन्हें हम ऋषिराय भी कहते हैं। वे मेवाड़ रावलियाँ से थे। दो आचार्यों का सान्निध्य उन्हें प्राप्त हुआ था। छोटी उम्र में हमारे धर्मसंघ में दीक्षित, शिक्षित हो विकसित और जाते हैं, तो विशेष बात हो जाती है। सुदृढ़ नेतृत्व से संघ का विकास हो सकता है। उनके बाद सात पीढ़ियाँ बीत गई, आठवीं पीढ़ी प्रवर्धमान है। हम उनके जीवन से अध्यात्म की प्रेरणा लें।
मुख्य मुनि महावीर कुमार जी ने आचार्य महाप्रज्ञ जी द्वारा रचित गीत के एक पद्य का संगान किया-
विनय शिरोमणि भारमल्ल रो, थांनै मिल्यो सहारो।
आओ देखो महाश्रमण रो, है बो ही उजियारो।।
पूज्यप्रवर की अभिवंदना में स्वागताध्यक्ष आनंद सोनी, कमलेश पटेल आदि ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। किशोर मंडल, तेरापंथ महिला मंडल, कन्या मंडल, ज्ञानशाला की ओर अपनी-अपनी प्रस्तुति दी। किशोर मंडल व ज्ञानशाला ज्ञानार्थियों ने तेरापंथ के महोत्सव पर सामूहिक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।