स्तोत्र मंत्र साधना से व्यक्ति बनता है शक्ति सम्पन्न
भारतीय नववर्ष विक्रम संवत 2081 के शुभारम्भ के अवसर पर आध्यात्मिक मंत्र साधना का आयोजन आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या डॉ. गवेषणाश्रीजी के सान्निध्य में संचेती सदन, सुंगाछत्रम् में आयोजित किया गया। नमस्कार महामंत्र के समुच्चारण के साथ भक्तामर स्तोत्र इत्यादि अनेकों आध्यात्मिक मंत्रों का उच्चारण किया गया। प्रातःकाल सैकड़ों साधक सामायिक की साधना से जुड़े। पुरुष, महिलाएं, ज्ञानाशाला के बच्चे और कन्या मण्डल गणवेश में उपस्थित थे। स्थानीय लोगों के साथ चेन्नई, कांचीपुरम इत्यादि अनेकों क्षेत्रों के श्रावकों ने सहभागिता दर्ज की। तन्मयता, एकाग्रता से सभी ने अपने आप को मंत्र साधना से भावित किया। लगभग एक घण्टे तक चले मंत्र साधना के बाद साध्वीश्री ने साधकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज जो मंत्र साधना हुई, वह साल में मात्र तीन-चार बार ही सामूहिक रूप में की जाती है। हर व्यक्ति चाहता है कि मैं शक्ति सम्पन्न बनूं। जैन धर्म प्राचीनतम धर्म है। तीर्थंकरों ने स्वयं साधना कर श्रावक समाज को भी साधना सम्पन्न बनने की प्रेरणा दी। जैनागमों में अनेकों मंत्रों का समावेश है, जो अनेकों बाधा विपदाओं को मिटाने के साथ नवीन ऊर्जा का संचार करता है।
साध्वीश्री ने कहा कि श्रावक समाज को नेम और फेम की बनिस्पत संघ और संघपति की सेवा में सलग्न बनना चाहिए। साध्वी मंयकप्रभा जी ने कहा कि थीटा, बीटा आध्यात्मिक मंत्र साधना से अल्फा तरंगों में परिवर्तित हो जाते हैं, प्रमाद, निन्दा, कुरूतियां दूर हो जाती हैं। साध्वी दक्षप्रभा ने 'नये साल में हमें नया इतिहास रचना है' - कविता के माध्यम से विचार व्यक्त किए। स्थानीय महिला शक्ति ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। कन्या मण्डल की गीतिका एवं नन्ही बालिका प्रिंयल संचेती की तुतलाती बोली सभी को आकर्षक लगी। अभातेयुप राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश डागा, वर्षा संचेती ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। विशाल संचेती ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी मेरुप्रभाजी ने किया।